पार्टी ने इस अवधि में ब्याज के जरिए 38 करोड़ रुपये जुटाए। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी ने इस अवधि के दौरान चंदे से 297.7 करोड़ रुपये जुटाए। इसके अलावा ब्याज के रूप में उसे 21.29 करोड़ रुपये मिले। पार्टी ने आजीवन सहयोग निधि के जरिए भी कुछ राशि जुटाई। आरटीआई के तहत स्वयंसेवी संगठन ‘एसोसिएशन आफ डेमोक्रेटिक रिफार्म्स’ ने यह जानकारी प्राप्त की है। बसपा ने भी योगदान के जरिये 202. 94 करोड़ रुपये प्राप्त किए। पार्टी सदस्यता और ब्याज से उसे क्रमशः 43. 20 करोड़ और 5.18 करोड़ रुपये मिले। पार्टियों की आय के अन्य प्रमुख स्रोतों के तहत वर्ष 2007-08 और 2008-09 में माकपा ने जहां ‘लेवी’ के रूप में 46 करोड़ रुपये जुटाए, वहीं राकांपा ने कूपन की बिक्री के जरिये 50 करोड़ रुपये प्राप्त किए।
इस अवधि में कांग्रेस ने सर्वाधिक 215 करोड़ रुपये चुनाव पर खर्च किए जबकि विज्ञापन पर 58 करोड़ रुपये व्यय किए गए। पार्टी ने ‘अन्य’ के लिए सहायता के रूप में 56 करोड़ रुपये बांटे। इसी क्रम में भाजपा ने विज्ञापन एवं प्रचार-प्रसार पर 89. 16 करोड़ रुपये खर्च किये जबकि बसपा ने 85 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति खरीदी। इस अवधि के दौरान कांग्रेस की अधिकतम सकल आय 718 करोड़ रुपये रही जबकि भाजपा और बसपा की सकल आय क्रमशः 344 करोड़ रुपये और 252 करोड़ रुपये रही। भाकपा एकमात्र ऐसी पार्टी रही जिसका आय में आलोच्य अवधि के दौरान गिरावट दर्ज की गई। वर्ष 2007-08 में पार्टी की आय 1. 24 करोड़ थी, जो 2008-09 में यह घटकर 1. 16 करोड़ रुपये रह गई।
2007-09 में विभिन्न पार्टियों की आमदनी
कांग्रेस---------718 करोड़ रु.
भाजपा---------344 करोड़ रु.
बसपा---------252 करोड़ रु.
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