भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि यह बेहद शर्मनाक है कि जहां कांग्रेस के एक प्रधानमंत्री ने 1971 में पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, वहीं उसके एक अन्य प्रधानमंत्री पाकिस्तान के छद्म युद्ध के सामने घुटने टेक रहे हैं।
भाजपा के प्रवक्ताओं व मीडिया प्रकोष्ठ के देश भर के संयोजकों के सम्मेलन का समापन करते हुए आडवाणी ने केंद्र की संप्रग सरकार पर आरोप लगाया कि उसने कश्मीर में अलगाववादियों के सामने पूरी तरह समर्पण कर दिया है। सरकार उन्हें करारा जवाब देने के बजाए राजनीतिक हल निकालने की कोशिश कर रही है। इसके लिए सुरक्षा बलों का मनोबल तोड़ा जा रहा है और उनके अधिकारों में कटौती की जा रही है।
आडवाणी ने इस बात पर गहरी निराशा जताई कि 1971 में करारी हार के बाद पाकिस्तान के सैन्य शासक कश्मीर को लेकर जो सपना देखते रहे, उसे अब अलगाववादी पूरा कर रहे हैं। आडवाणी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पंडित जवाहरलाल नेहरू का 27 नवंबर, 1963 का भाषण भी याद दिलाया, जिसमें उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 370 के बारे में स्पष्ट किया था कि यह कुछ समय के लिए या दूसरे शब्दों में अस्थायी प्रावधान है।
भाजपा नेता ने कहा कि लगता है मौजूदा कांग्रेस सरकार अब अपने पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी भूल गई है। इससे पहले जब जून, 2000 में राज्य सरकार ने विधानसभा से स्वायत्तता प्रस्ताव पारित करा कर केंद्र को भेजा था तो तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने उसे पूरी तरह नकार दिया था क्योंकि वह राष्ट्रीय एकता के खिलाफ था। उन्होंने संप्रग सरकार को आगाह किया कि अगर उसने अलगाववादियों के सामने घुटने टेके तो देश उसे कभी माफ नहीं करेगा।
0 comments :
Post a Comment