पूर्व भाजपा नेता और राम मंदिर आंदोलन के प्रबल पक्षधर रहे कल्याण सिंह ने दोहराया कि कोई अदालत अयोध्या विवाद का सर्वमान्य फैसला नहीं दे सकती, क्योंकि यह करोड़ों लोगों की आस्था और विश्वास का विषय है।
1992 में 6 दिसम्बर को अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह ने बयान में कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि आस्था और विश्वास के इस मुद्दे पर कोई अदालत सर्वमान्य हल नहीं निकाल सकती।’’
उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला अब और टाला नहीं जाना चाहिए और बातचीत से इस समस्या के समाधान खोजने के जो भी प्रयास हो रहे हैं, वे महज ‘नाटक’ हैं, इसलिए भी कि पूर्व में ऐसी सारी कोशिशें नाकाम रही हैं।
सिंह ने दोहराया कि इस मामले के केवल दो समाधान संभव हैं। पहला यह कि मुसलमान ‘राम जन्मभूमि’ पर स्वेच्छा से अपना दावा छोड़ दें और राम मंदिर के निर्माण में सहयोग करें।
दूसरा रास्ता यह है कि केंद्र सरकार ने जिस तरह शाहबानो प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुस्लिम समाज की भावनाओं के अनुकूल कानून बनाया था, उसी तरह राम मंदिर के निर्माण के लिए भी संसद से कानून पारित कराया जाए।
उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला अब और टाला नहीं जाना चाहिए और बातचीत से इस समस्या के समाधान खोजने के जो भी प्रयास हो रहे हैं, वे महज ‘नाटक’ हैं, इसलिए भी कि पूर्व में ऐसी सारी कोशिशें नाकाम रही हैं।
सिंह ने दोहराया कि इस मामले के केवल दो समाधान संभव हैं। पहला यह कि मुसलमान ‘राम जन्मभूमि’ पर स्वेच्छा से अपना दावा छोड़ दें और राम मंदिर के निर्माण में सहयोग करें।
दूसरा रास्ता यह है कि केंद्र सरकार ने जिस तरह शाहबानो प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुस्लिम समाज की भावनाओं के अनुकूल कानून बनाया था, उसी तरह राम मंदिर के निर्माण के लिए भी संसद से कानून पारित कराया जाए।
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