अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि किसी रोजगार पैकेज से कश्मीर का मसला सुलझ जाएगा। मीरवाइज ने कहा कि यह कोई बेरोजगारी की समस्या नहीं है, बल्कि एक अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक मुद्दा है।
जम्मू एवं कश्मीर के अलगाववादी हुर्रियत कांफ्रेंस के नरमपंथी धड़े के प्रमुख मीरवाइज ने बोला कि "मनमोहन सिंह को यह नहीं समझना चाहिए कि किसी रोजगार पैकेज की घोषणा कर देने से कश्मीर की समस्या सुलझ जाएगी। यह कोई बेरोजगारी की समस्या नहीं है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक मुद्दा है।"
मीरवाइज ने कहा कि भारत सरकार को समस्या के समाधान के प्रति गंभीरता दिखानी चाहिए और बातचीत के बहाने समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।
बुधवार को कश्मीर पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक पर चर्चा करते हुए मीरवाइज ने कहा, "भारतीय नेताओं को कश्मीर की वास्तविकता को ईमानदारी के साथ स्वीकार करनी चाहिए और इसे एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा मानना चाहिए। उन्हें चिकनी-चुपड़ी घोषणाओं, पैकेज और प्रतीकात्मक सहानुभूति की योजना नहीं बनानी चाहिए।"
हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े के प्रमुख सैयद अली गिलानी और जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक से सहमति जताते हुए मीरवाइज ने कहा, "कश्मीर के ताजा हालात पर और उसके समाधान के बुनियादी दृष्टिकोण को लेकर हम सभी, यानी मैं, गिलानी साहेब और मलिक का एक संयुक्त दृष्टिकोण है।"
मीरवाइज ने कहा, "81 वर्षीय गिलानी से लेकर पथराव करने वाले किशोर तक, कश्मीर की चार पीढ़ियां 63 वर्ष पुराने इस मुद्दे के समाधान के लिए उत्सुक हैं।"
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