गौरतलब है कि कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (एएफएसपीए) को आंशिक तौर पर हटाने के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया और उमर की मुलाकात करीब 15 मिनट तक चली। कैबिनेट समिति की बैठक में कश्मीर में जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए ‘ईद पैकेज’ पर चर्चा की उम्मीद है।
उमर अब्दुल्ला लंबे समय से केंद्र से माँग कर रहे हैं कि वह राज्य के कुछ हिस्सों से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून हटाए और कुछ राजनीतिक पहल की घोषणा करे। उमर ने कहा कि वह विश्वास बहाली के उपायों पर केंद्र के साथ काम कर रहे हैं ताकि घाटी में सामान्य स्थिति बहाल की जा सके।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने कल कहा था कि इस बारे में सवाल उठेंगे कि हिंसा के जारी रहने पर इस प्रक्रिया को कैसे आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा ‘यह मुर्गी और अंडा वाली स्थिति है कि पहले कौन आया।’
बीते शुक्रवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने अपने कैबिनेट सहयोगियों से चर्चा की थी। चर्चा के बाद ऐसे संकेत मिले थे कि घाटी में पिछले तीन महीने से जारी हिंसा के अंत के लिए सरकार कुछ पहल की घोषणा कर सकती है।
ये तो होना ही था.
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