पाकिस्तान पर दो साल पहले छह खरब रुपये का कर्ज था, जो फ़िलहाल 875 खरब रुपये तक पहंच गया है. ब्याज अदायगी पर पाकिस्तान का खर्च साल दर साल बढ़ता जा रहा है. इसके बावजूद पाकिस्तान रक्षा खर्च कम करने के बजाय बढ़ाता ही रहा है. आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने में भी आइएसआइ के जरिए सरकार की बड़ी रकम खर्च होती है. इस पर हाल में आई भीषण बाढ़ ने पहले से खस्ताहाल देश को बर्बाद कर दिया है.
बाढ़ में करीब 2000 लोग मरे हैं और दो करोड़ से ज्यादा प्रभावित हए हैं. 50 लाख लोगों की नौकरियां भी चली गई हैं. बाढ़पीड़ितों के लिए दुनिया भर से मदद आ रही है, लेकिन इस मदद को सही लोगों तक पहंचा पाने में भी सरकार नाकाम रही है. राहत का सामान खुले आम बाजार में बिका है. फ़िर भी, पाकिस्तान सरकार बाढ़ के नाम पर कर्ज माफ़ी और मदद की गुहार लगा रही है.
वित्त मंत्री ने किफ़ायत बरतने की अपील भी की है. पाकिस्तान का कर्ज इसके जीडीपी यानि सकल घरेलू उत्पाद के आधे से भी अधिक के बराबर है. वित्त मंत्री ने कहा, हालात इसी तरह रहे तो दो महीने बाद हमारे पास कर्मचारियों को तनख्वाह देने के पैसे नहीं रहेंगे.
प्रधानमंत्री यूसुफ़ रजा गिलानी भी देश में आई भीषण बाढ़ से डरे हए हैं. उन्होंने हाल में कहा था कि पिछले साल देश की जीडीपी दर 41 फ़ीसदी थी, जो बाढ़ की वजह से इस साल मात्र 25 फ़ीसदी रह जाएगी. इसका असर यह होगा कि बड़े पैमाने पर लोग बेरोजगार हो जाएंगे और हजारों-लाखों परिवारों को खाने के लाले पड़ जाएंगे.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा था कि बाढ़ के चलते देश की अर्थव्यवस्था को 43 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है. इसका असर देश के समाज पर भी पड़ेगा. लोगों को जब खाने की कमी होगी तो लूटपाट जैसी घटनाएं बढ़ेंगी और कानून-व्यवस्था के हालात बिगड़ सकते हैं.
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की संस्था अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तान में बाढ़ से हई तबाही के कारण 50 लाख लोगों को नौकरियां खत्म हो गई हैं.
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