प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गोदामों में पड़े अनाज को ग़रीबों को मुफ़्त में बाँटने के संबंध में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि वो नीति निर्धारण के मामलों में दख़ल न दे और इस मामले में सरकार को ही फ़ैसले लेने दे.
मनमोहन सिंह ने ये बातें देश के वरिष्ठ संपादकों के साथ हुई बैठक में कहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनाज गोदामों में प़डा सड़ रहा है और इसलिए सरकार को चाहिए कि वह इसे ग़रीबों में मुफ़्त में बाँट दे.
मनमोहन सिंह का कहना था कि तेंदुलकर समिति के मुताबिक़ देश में ग़रीबों की संख्या कुल आबादी के 37 प्रतिशत है. ऐसे में सब को मुफ़्त अनाज देना संभव नहीं है. पिछले दिनों मीडिया लगातार ख़बर दिखाता रहा है कि देश के विभिन्न हिस्सों में गोदामों में रखा अनाज सड़ रहा है.
बैठक में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन के अनुसार प्रधानमंत्री का कहना था कि नक्सलवाद लंबे अरसे से चली आ रही पेचीदा समस्या है और इसका हल आसानी से होने वाला नहीं है. उनका कहना था कि अलग अलग राज्यों में इसका स्वरूप अलग अलग है.
मनमोहन सिंह का कहना था कि अपनी दोनों टाँगों पर चलते हुए ही सरकार को इससे निपटने की कोशिश करनी होगी. उनका कहना था कि एक टाँग है विकास और दूसरी टाँग, क़ानून व्यवस्था. प्रधानमंत्री का कहना था कि पाकिस्तान में सत्ता चाहे किसी की भी हो, भारत के पास बातचीत के सिवाय कोई विकल्प नहीं है.
सिद्धार्थ वरदराजन के अनुसार प्रधानमंत्री का कहना था कि अगर जंग नहीं लड़ना चाहते हैं तो बातचीत ही एक विकल्प है. संपादकों के साथ अपनी बैठक में प्रधानमंत्री ने ये भी संकेत दिए कि सात नवंबर से शुरू होने वाले संसद सत्र से पहले वो अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करेंगे.
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