भारत पर विदेशी कर्ज मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 10.8 अरब डॉलर बढ़कर 273.1 अरब डॉलर हो गया। यह वृद्धि लघु अवधि के व्यापारिक ऋण, वाणिज्यिक उधारी और बहुपक्षीय ऋणों में वृद्धि के कारण हुई है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पहली तिमाही में लघु अवधि का ऋण 5.4 अरब डॉलर बढ़कर 57.8 अरब डॉलर हो गया इसमें कुल 21.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। वहीं लंबी अवधि का ऋण बढ़कर 215.2 अरब डॉलर हो गया।
तिमाही में सभी तरह के कर्जो में वृद्धि दर्ज की गई। वाणिज्यिक उधारियां 2.5 अरब डॉलर और विदेशी सहायत के अंतर्गत लिया गया कर्ज 2.3 अरब डॉलर बढ़ा हैं।
कुल कर्ज में वाणिज्यिक उधारियों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 27.3 प्रतिशत बनी रही जबकि कुल विदेशी कर्ज में छोटी अवधि के कर्ज की हिस्सेदारी 21.2 प्रतिशत, प्रवासी भारतीयों का जमा 17.6 प्रतिशत और बहुपक्षीय ऋण 16.4 प्रतिशत रहा है।
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