श्रीराम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद के विवाद के सबसे बुजुर्ग पक्षकार मोहम्मद हाशिम अंसारी इस मामले को अब और ज्यादा तूल नहीं देना चाहते हैं। अंसारी ने साफ कर दिया कि वे इलाहाबाद हाई कोर्ट की विशेष लखनऊ पीठ के फैसले को ही अंतिम मानेंगे। अंसारी ने कहा कि वे नहीं चाहते कि यह मामला अब और ज्यादा सियासी रंग पकड़े।
उन्होंने कहा कि साठ साल पुरानी इस लाश को अब लखनऊ में ही दफ़न कर देना चाहिये, इसे दिल्ली ले जाने की कोई जरूरत नहीं। इस मसले को लेकर हो रही राजनीति गहमागहमी से दुखी करीब 90 वर्षीय श्री अंसारी ने कहा कि वह हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं और वह सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह मेरा नहीं सभी मुसलमानों का फैसला है कि हाईकोर्ट के फैसले को ही अंतिम मान लिया जाये।
बस अब इस पर और सियासत की जरूरत नहीं।अंसारी ने कहा कि इस विवाद ने देश को काफी नुकसान पहुंचा दिया है। वे अयोध्या की तरक्की चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि अब यह एक बार फिर सियासत का मोहरा बने। अयोध्या के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबलों की तैनाती से वह आहत दिखे और इसके लिए उन्होंने एक हद तक मीडिया को भी जिम्मेदार ठहराया।
एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान अंसारी ने कहा इन तस्वीरों को देखकर ऐसा लगता है जैसे कि यहां माहौल बहुत तनावपूर्ण है, बल्कि अयोध्या में ऐसा कुछ भी नहीं है।अंसारी पिछले साठ साल से बाबरी मस्जिद के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन उनके लिए सबसे जरूरी अमन है। अंसारी भले ही बाबरी मस्जिद के लिए लड़ रहे हों लेकिन स्थानीय हिंदू साधु-संत हों या फिर राम मंदिर की लड़ाई लड़ रहे निर्मोही अखाड़े के संत, उनकी सभी से दोस्ती है।
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