अयोध्या विवाद पर हाईकोर्ट के फैसले से असंतुष्ट मुसलमानों को लामबंद करने के लिए अल्पसंख्यक राजनीति को गरमाने की कोशिशें तेज हो गई हैं।शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने बृहस्पितवार को जामा मस्जिद में देश भर के उलेमाओं और मुस्लिम बुद्धिजीवियों की बैठक बुलाई है।
इधर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने बुखारी से बुधवार को जामा मस्जिद में तकरीबन डेढ़ घंटे तक गुफ्तगू की। उलेमाओं की बैठक से ठीक एक दिन पहले मुलायम-बुखारी की इस मुलाकात को बाबरी मस्जिद के संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बुखारी से बातचीत के बाद मुलायम ने कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि वह इसे संसद के आगामी सत्र में जोरशोर से उठाएंगे।
उन्होंने कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही अयोध्या विवाद का बराबर का जिम्मेदार ठहराया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के जामा मस्जिद में आहूत उलेमाओं और बुद्धिजीवियों की बैठक कल 10 बजे से शुरू होगी। माना जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव की आज शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी से हुई तकरीबन डेढ घंटे की मुलाकात और बातचीत के केंद्र में कल की बैठक और आगे की रणनीति ही रही । नि:संदेह अयोध्या विवाद पर आए हाईकोर्ट के फैसले के बाद मुलायम और शाही इमाम की प्रतिक्रिया बिल्कुल एक जैसी ही है, इसलिए यह माना जा रहा है कि इस मामले को लेकर आगे बढ़ने का काम दोनों ही लोगों के विचार-विमर्श से ही तय होगा।
मुलायम ने शाही इमाम से बातचीत के बाद कहा कि जब वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब भी बाबरी मस्जिद पर कब्जे की कई बार कोशिशें की गई थीं, लेकिन उन्होंने नाकाम कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस दिन विवादित स्थल पर मूर्तियां रखी गईं थी उसी दिन से गत 30 सितम्बर 2010 तक कांग्रेस ने बाबरी मस्जिद को लेकर राजनीति की।
उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का अहसास है कि इस देश में गरीबों, बेरोजगारों में सबसे बड़ी संख्या मुसलमानों की है। उन्होंने दावा किया कि अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में उन्होंने मुसलमानों को रोजगार दिलाने, कौमी एकता तथा साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए मुसलमानों की भर्ती पुलिस में कराई ताकि किसी दंगा फसाद में मुसलमानों के साथ कोई ज्यादती नहीं कर सके।
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