
विशेषज्ञों का कहना है कि 31 साल बाद करवाचौथ के मौके पर सूर्य तुला राशि में है। शास्त्रों के हिसाब से यह तारा डूबा वाली स्थिति मानी जाती है।
नए वर-वधू को एक साल तक शास्त्रों के हिसाब से पूजा-अर्चना करनी होती है। सूर्य की ऐसी स्थिति में जिनका पहला करवाचौथ है, उनके लिए सूर्य की यह दशा अशुभ है। हालांकि कुछ पंडित ये भी कह रहे हैं कि व्रत रखा जा सकता है, लेकिन जिनका पहला व्रत है, वे करवाचौथ पर विशेष पूजा न करें।
करवाचौथ के व्रत को लेकर इस बार पंडितों में मतभेद बना हुआ है। सूर्य की स्थिति को देखते हुए कुछ पंडित नए जोड़े को करवाचौथ का व्रत न रखने की सलाह दे रहे हैं, उधर कुछ पंडितों का ये भी कहना है कि व्रत रखना कोई अशुभ बात नहीं है, लेकिन सूर्य की स्थिति को देखते हुए व्रत तो रखा जा सकता है, पर नए वर-वधू करवाचौथ पर होने वाली विशेष पूजा न करें तो बेहतर है।
ज्योतिष पंडित प्रकाश जोशी का कहना है कि इस बार करवाचौथ के मौके पर सूर्य तुला राशि में है। शास्त्रों में सूर्य की ऐसी स्थिति को तारा डूबा हुआ माना जाता है। शास्त्रों में लिखा है कि तारा डूबा होने पर करवाचौथ की पूजा नए जोड़ों के लिए कष्टकारी होती है। दूसरे उनका कहना है कि अगर नए जोड़े व्रत रख रहे हैं, तो करवाचौथ पर भगवान विष्णु की पूजा करें उसके बाद ही करवाचौथ की पूजा करें।
पंडित वीरेंद्र का कहना है कि सूर्य की ऐसी स्थिति में नए जोड़े के लिए करवाचौथ का व्रत थोड़ा कष्टकारी माना जाता है , लेकिन व्रत रखने में कोई बुराई नहीं है , व्रत तो कभी भी किसी के लिए भी रखा जा सकता है , हां इतना ध्यान रखें कि करवाचौथ पर जो नए जोड़े व्रत रख रहे हैं , वे करवाचौथ की विशेष पूजा न करें सामान्यतौर पर व्रत रख सकते हैं।
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