जम्मू-कश्मीर के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नियुक्त तीन वार्ताकारों की टीम ने एक और विवादास्पद बयान दिया है। वार्ताकारों में शामिल राधा कुमार ने भारतीय संविधान में संशोधन किए जाने की तरफ इशारा करते हुए कहा है कि संविधान में कश्मीर के लिए 'आज़ादी का विकल्प' होना चाहिए।
बुधवार को तीन वार्ताकारों की टीम ने घाटी की चार दिनों की यात्रा पूरी कर ली। यात्रा की समाप्ति पर मीडिया से बातचीत करते हुए राधा कुमार ने कहा, 'भारतीय संविधान एक शानदार दस्तावेज है और उसमें बदलते वक्त के साथ बदलाव की गुंजाइश है। और हम संविधान में संशोधन की सिफारिश भी कर सकते हैं ताकि कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत हो सके जिससे कश्मीरी अवाम की इच्छा और महत्वाकांक्षाओं के मुताबिक समस्या का मुकम्मल समाधान हो सके।' वार्ताकारों की टीम में राधा कुमार के अलावा दिलीप पडगांवकर और एम.एम. अंसारी शामिल हैं।
राधा कुमार के मुताबिक संविधान में 400 से ज़्यादा बार संशोधन किया जा चुका है और अगर इसमें आगे भी बदलाव किया जाए तो इसमें कोई बुराई नहीं है। हालांकि, राधा कुमार ने कहा कि यह उनकी निजी सोच है। भारत के संविधान के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का संविधान भी जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताता है।
वार्ताकारों की टीम के अगुवा दिलीप पडगांवकर ने पत्रकारों से बातचीत में उम्मीद जताई कि पाक के कब्जे वाले कश्मीर के नेताओं को भी कश्मीर समस्या के समाधान की कोशिशों में शामिल किए जाने की इच्छा जाहिर की। दिलीप ने कहा, 'हां, हम लोग पाक के कब्जे वाले कश्मीर का भी दौरा करना चाहेंगे और वहां के सियासी नेतृत्व से चर्चा करना चाहेंगे ताकि हम इस मसले पर उनके नजरिए को जान सकें। लेकिन जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से में लोग उस तरह से नहीं सोचते हैं जैसे कश्मीर घाटी के लोग सोच रहे हैं।'
देश के टुकड़े करवा देंगे इसी देश के लोग...
ReplyDeleteThah's good for us as we selected to find fact and truth is what they intelects says! we shoud be proude being repeating Our forefather's given gifts of their deeds- history ! we daserve to be SLAVE because we fight with each other and loves others by force or by choosing to heart our brother! Good luck
ReplyDeleteProblem is that we are not organised, instead of FB if we should all converge in Delhi on our own money and resources for one day to show Mr Dilip Padgaonkar what we think about his comment. Ms Radha Kumar says that we must look after the aspirations of Kashmiris(read Azadi) in the same way what about our aspirations. Only people in Kashmir have a view, what about us, are we foreigners or are we second class citizens and the so called intellectuals like Manmohan and co.(read gora saheb) see us as inferior natives.
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