गेम्स विलेज की बदहाली पर दुनिया भर से आलोचना झेलने के बाद इसे रहने लायक बनाने का श्रेय लेने की कोशिश कर रहीं दिल्ली की सी एम शीला दीक्षित पर दिल्ली के एलजी ने पलटवार किया है। दरअसल, एलजी तेजिंदर खन्ना ने पीएम को पत्र लिख कर शिकायत की है कि गेम्स विलेज की हफ्ते भर के अंदर हुई 'कायापलट' के मामले में शीला 'पूरा क्रेडिट खुद ही' हड़पना चाहती हैं। जबकि, ऐसा नहीं है।
तिलमिलाए खन्ना ने शीला दीक्षित की इस 'चाल' को नाकाम करने के लिए सीधे पीएम से शिकायत की है। खन्ना ने लिखा है कि शीला 'अनुचित और तथ्यात्मक तौर पर झूठी' बातें बोल रही हैं।
जैसा कि आप जानते हैं, सीडब्ल्यूजी में शामिल देशों के प्रतिनिधियों ने जब गेम्स विलेज का दौरा किया था, तब इसकी असुरक्षा और बदहाली को लेकर सवालिया निशान खड़े हो गए थे। मीडिया में आई तमाम निगेटिव रिपोर्ट्स के बाद इसे 'हफ्ते भर के अंदर रहने योग्य' बनाया दिया गया था।
एलजी ने यह पत्र 7 अक्टूबर को लिखा है। एक इंटरव्यू में सीएम ने बताया था कि कैसे उन्हें आखिरी पलों में गेम्स विलेज की जिम्मेदारी सौंपी गई और सिर्फ चार दिनों में उन्होने गेम्स विलेज को चमका दिया। शीला ने गेम्स की ऑर्गनाइजिंग कमिटी और डीडीए को 'गेम्स विलेज में लापरवाही' बरतने के लिए जिम्मेदार भी ठहराया था। गौरतलब है कि डीडीए के चेयरमैन हैं एलजी तेजिंदर खन्ना।
खन्ना ने लिखा है कि इस कायापलट को किसी एक एंजेसी ने अंजाम नहीं दिया है। गेम्स विलेज पर ऐसी बयानबाजी कर शीला उन सैंकड़ों कर्मचारियों और एजेंसियों का मनोबल गिरा रही हैं जिन्होने दिन रात ईमानदारी से मेहनत मशक्कत कर कम समय में बेहतरीन काम किया।
उन्होंने पत्र में लिखा है, गेम्स विलेज के लिए सीएम ने एमसीडी और एनडीएमसी से अतिरिक्त स्टाफ की मांग की थी जिनका उपयोग विलेज के बाहरी हिस्सों की सफाई के लिए किया गया। कुछ का प्रयोग लिफ्ट्स और सीढ़ियां साफ करने के लिए किया। यह ऊपरी सफाई थी और 'डीप क्लीनिंग' में यह स्टाफ शामिल नहीं था।
उन्होंने यह भी जिक्र किया है कि जब ऑर्गनाइजिंग कमिटी द्वारा जब खुद उनसे काम करवाने के लिए स्टाफ मांगा गया तब खुद उन्होंने 70 जूनियर कमिश्नड ऑफिसर तुरंत अरेंज किए थे। खन्ना ने जेएनएस के पास टूटे पुल को बनवाने के लिए आर्मी से रिक्वेस्ट करने का क्रेडिट भी खुद लिया है। जबकि, शीला दीक्षित का कहना है कि गेम्स विलेज में ऑफिसर नियुक्त करने का फैसला उन्होंने लिया था।
तिलमिलाए खन्ना ने शीला दीक्षित की इस 'चाल' को नाकाम करने के लिए सीधे पीएम से शिकायत की है। खन्ना ने लिखा है कि शीला 'अनुचित और तथ्यात्मक तौर पर झूठी' बातें बोल रही हैं।
जैसा कि आप जानते हैं, सीडब्ल्यूजी में शामिल देशों के प्रतिनिधियों ने जब गेम्स विलेज का दौरा किया था, तब इसकी असुरक्षा और बदहाली को लेकर सवालिया निशान खड़े हो गए थे। मीडिया में आई तमाम निगेटिव रिपोर्ट्स के बाद इसे 'हफ्ते भर के अंदर रहने योग्य' बनाया दिया गया था।
एलजी ने यह पत्र 7 अक्टूबर को लिखा है। एक इंटरव्यू में सीएम ने बताया था कि कैसे उन्हें आखिरी पलों में गेम्स विलेज की जिम्मेदारी सौंपी गई और सिर्फ चार दिनों में उन्होने गेम्स विलेज को चमका दिया। शीला ने गेम्स की ऑर्गनाइजिंग कमिटी और डीडीए को 'गेम्स विलेज में लापरवाही' बरतने के लिए जिम्मेदार भी ठहराया था। गौरतलब है कि डीडीए के चेयरमैन हैं एलजी तेजिंदर खन्ना।
खन्ना ने लिखा है कि इस कायापलट को किसी एक एंजेसी ने अंजाम नहीं दिया है। गेम्स विलेज पर ऐसी बयानबाजी कर शीला उन सैंकड़ों कर्मचारियों और एजेंसियों का मनोबल गिरा रही हैं जिन्होने दिन रात ईमानदारी से मेहनत मशक्कत कर कम समय में बेहतरीन काम किया।
उन्होंने पत्र में लिखा है, गेम्स विलेज के लिए सीएम ने एमसीडी और एनडीएमसी से अतिरिक्त स्टाफ की मांग की थी जिनका उपयोग विलेज के बाहरी हिस्सों की सफाई के लिए किया गया। कुछ का प्रयोग लिफ्ट्स और सीढ़ियां साफ करने के लिए किया। यह ऊपरी सफाई थी और 'डीप क्लीनिंग' में यह स्टाफ शामिल नहीं था।
उन्होंने यह भी जिक्र किया है कि जब ऑर्गनाइजिंग कमिटी द्वारा जब खुद उनसे काम करवाने के लिए स्टाफ मांगा गया तब खुद उन्होंने 70 जूनियर कमिश्नड ऑफिसर तुरंत अरेंज किए थे। खन्ना ने जेएनएस के पास टूटे पुल को बनवाने के लिए आर्मी से रिक्वेस्ट करने का क्रेडिट भी खुद लिया है। जबकि, शीला दीक्षित का कहना है कि गेम्स विलेज में ऑफिसर नियुक्त करने का फैसला उन्होंने लिया था।
डी .डी. ऐ का चेयरमेन किसी को भी झूठा कहने लायक ही नहीं क्योकि डी.डी.ऐ एक ऐसी सड़ी हुयी संस्था है जिसकी तुलना ज्यादातर झुग्गियों की बदबूदार शौचालय से भी नहीं की जा सकती दुर्गन्ध के मामले में ...
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