मुंबई में कोलाबा बेहद महंगा इलाका है। यहीं मुकेश अंबानी के चर्चित आलीशान घर के सामने ही आदर्श हाउसिंग सोसायटी ने 31 मंजिला अपार्टमेंट बनाया है। यह अपार्टमेंट सेना की जमीन पर बना है और यहां करगिल के शहीदों की विधवाओं के लिए 6 मंजिला इमारत में फ्लैट बनने थे। लेकिन फौजियों, नेताओं और अफसरों की मिलीभगत से यह इमारत 31 मंजिला बन गई और इसके फ्लैट अपने लोगों में मिट्टी के मोल बांट दिए गए।
करीब 8.5 करोड़ रुपये की कीमत वाला फ्लैट 85 लाख रुपये में अलॉट कर दिया गया। फायदा उठानेवालों में दो पूर्व आर्मी चीफ एन. सी. विज और दीपक कपूर, कई जनरल, एडमिरल, राजनेता और बड़े अफसर शामिल हैं।
साउथ मुंबई के पॉश एरिया में बनी आदर्श सोसायटी मुंबई में रीयल एस्टेट में घुसे बेइंतहा भ्रष्टाचार का उदाहरण है। अब तक मिली जानकारियों के आधार पर कहा जा सकता है कि पॉश एरिया में सस्ते मकान के लालच में नेताओं, नौकरशाहों और सरकारी विभागों ने आंख मूंदकर भ्रष्टाचार किया। लेकिन अब जबकि इस साजिश का पर्दाफाश हो रहा है, मुख्यमंत्री को इस्तीफे की पेशकश करनी पड़ गई है।
आर्मी के रिटायर्ड ऑफिसर्स, महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों और राजनीतिज्ञों ने मिलकर कफ परेड में 31 मंजिल का जो टॉवर बनाया है, मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के लिए वह आग की भट्टी बन गया है। यदि यह बात उजागर नहीं होती कि निर्माण और जमीन अलॉटमेंट में बेधड़क नियमों का उल्लंघन हुआ और उस दौरान राजस्व मंत्री अशोक चव्हाण थे, तो शायद मामले ने इतना तूल नहीं पकड़ा होता। चव्हाण विरोधियों के लिए इस टावर से उनका संबंध जोड़ना इसीलिए आसान हो गया कि उनके तीन रिश्तेदारों के तीन फ्लैट आदर्श में है।
जिस जगह पर यह टावर बना है वहां मूलत: कारगिल के वीरों और विधवाओं के लिए 6 मंजिली इमारत बनने वाली थी। बाद में सेना के 40 अधिकारियों ने इसे आर्मी का प्लॉट बताकर वहां सोसायटी बनाने का प्रस्ताव महाराष्ट्र सरकार को भेजा। धांधली वहीं से शुरू हुई। वह प्लॉट राज्य सरकार का होने का राज पता चलते ही धांधली के चक्र तेजी से घूमने लगे। कफ परेड में फ्लैट पाने के लिए आपाधापी मच गई। सोसायटी में सेना के अधिकारियों के अलावा निजी सदस्यों को शामिल करने के लिए खिटपिट शुरू की गई।
पहले नगर विकास को मैनेज करके इमारत के पास से गुजरने वाली सड़क छोटी बनाकर एक प्लॉट निकाला गया। उसे मूल जमीन में मिलाया गया, पर फिर भी एफएसआई कम पड़ गया तो बेस्ट की जगह का एफएसआई भी आदर्श के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति प्राप्त की गई। इस काम में जिस जिसकी मदद की जरूरत थी, उसे एक फ्लैट दिया गया। सोसायटी के सदस्यों की पात्रता की औपचारिकता पूरी करने के लिए को-ऑपरेटिव विभाग से मिलीभगत की गई।
तो क्या शहीदों के खून से गद्दारी करने वाले कांग्रेसियों की सजा सिर्फ कुर्सी से हटा देना ही है ?
unhe jhande fahraane ka shok hai.
ReplyDeletemujhe jhanda bachaane ka shok hai.
jaroorat thi iski hifajat me jan dena
varna mujhe bhi kab marjaane ka shok hai.