नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अंगरक्षक रहे : स्वतंत्रता सेनानी बाबू परमानंद का शनिवार को जम्मू कश्मीर के नौशहरा में निधन हो गया। वह 113 वर्ष के थे। रविवार दोपहर दो बजे गांव लंबेड़ी में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके बड़े बेटे हेमराज रैना ने उन्हें मुखाग्नि दी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अंगरक्षक व चालक रहे बाबू परमानंद का जन्म सन 1897 में पाक अधिकृत कश्मीर के गांव कोटा गोरा तहसील सरनेवी में हुआ था। वह बचपन से ही राष्ट्र की सेवा को अपना धर्म मानते थे। बलूच रेजिमेंट में वह सेना में भर्ती होने के बाद आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए थे। दूसरे विश्व युद्ध में परमानंद ने आजाद हिंद फौज के साथ लड़ाई में भी हिस्सा लिया था।
बाबू परमानंद का निशाना काफी अच्छा था और नेता जी उनके निशाने के कायल थे। उन्होंने आजाद हिंद फौज के जवानों को राइफल चलाने के साथ ही निशाना लगाने का प्रशिक्षण भी दिया था। वह कुछ समय के लिए जेल में भी रहे, लेकिन इसके बाद भी नेता जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते रहे। बाबू परमानंद अपने परिवार के सदस्यों से कहा करते थे कि नेताजी अब भी जीवित हैं।
बाबू परमानंद का निशाना काफी अच्छा था और नेता जी उनके निशाने के कायल थे। उन्होंने आजाद हिंद फौज के जवानों को राइफल चलाने के साथ ही निशाना लगाने का प्रशिक्षण भी दिया था। वह कुछ समय के लिए जेल में भी रहे, लेकिन इसके बाद भी नेता जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते रहे। बाबू परमानंद अपने परिवार के सदस्यों से कहा करते थे कि नेताजी अब भी जीवित हैं।
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