भारत सरकार को पानी पी-पीकर कोसने वाले अलगाववादी कश्मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी टैक्स डिफॉल्टर भी हैं। राष्ट्रद्रोह के मामले में सरकार भले ही उनपर केस दर्ज करने से हिचकिचा रही है, लेकिन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने उन्हें करीब पौने दो करोड़ बकाया टैक्स चुकाने का फरमान सुना दिया है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की टीम ने गिलानी और उनके रिश्तेदारों के घरों पर सन् 2002 में छापा मारा था। इसमें पाकिस्तान सरकार की ओर से तोहफे में दी गई हीरे की घड़ी समेत कई कीमती चीजें बरामद हुई थीं। डिपार्टमेंट ने इन सामानों पर गिलानी को डेढ़ करोड़ रुपये का टैक्स भरने के लिए कहा था। इस पर गिलानी ने इनकम टैक्स कमिश्नर से अपील की थी कि जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से मिलने वाले पेंशन और खेती की जमीन से कमाई छोड़कर उनके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है, लिहाज टैक्स माफ कर दिया जाए।
यह केस करीब साढ़े तीन चला और बाद में उनकी अपील खारिज हो गई। इसके बाद अब गिलानी को इस साल के अंत तक बकाया 1.73 करोड़ रुपये टैक्स भरने के लिए कहा गया है। हालांकि, गिलानी के पास अभी भी इनकम टैक्स ट्राइब्यूनल के पास जाने का विकल्प बचा हुआ है।
9 जून, 2010 को गिलानी के यहां मारे गए छापे में 10.2 लाख रुपये और 10 हजार अमेरिकी डॉलर के साथ-साथ महंगी जूलरी खरीदने के सबूत के तौर पर कई रसीदें मिली थीं। इसके अलावा जमीन और गाड़ियां खरीदने के कागजात भी बरामद हुए थे। आमदनी के तौर पर गिलानी ने पूर्व विधायक के रूप में मिलने वाले पेंशन के अलावा खेती से सालाना 10 हजार रुपये की कमाई दिखाई थी। आईटी अधिकारियों के गले यह बात नहीं उतरी कि इतनी कम आमदनी में इतने महंगे सामान और गाड़ियां आदि खरीदी जा सकती हैं।
आईटी अधिकारियों ने तब आकलन किया था गिलानी के घर में हर महीने एक से डेढ़ लाख रुपये खर्च किया जा रहा है। उनके घर में 15 नौकर थे और उनकी पत्नी ने खुद कहा था कि रसोई में ही 25 हजार रुपये महीने खर्च हो जाते हैं।
इससे निजी और पारिवारिक संबंधों पर भी बुरा असर पड़ता है।
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