पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या मामले में निचली अदालत के फैसले को बदल दिया। हाई कोर्ट ने मामले में दोषी बब्बर खालसा आतंकी जगतार सिंह हवारा की फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हवारा जीवन पर्यत जेल में रहेगा। एक अन्य अभियुक्त बलवंत सिंह की मौत की सजा को बरकरार रखा गया है। हाई कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्र कैद में बदलने का आधार बेअंत सिंह की हत्या वाले दिन हवारा का चंडीगढ़ में नहीं होना दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में चंडीगढ़ की विशेष अदालत द्वारा 31 जुलाई 2007 को बलवंत सिंह को सुनाई गई फांसी की सजा को बरकरार रखा। अपने 180 पन्नों के फैसले में न्यायमूर्ति महताब सिंह गिल व न्यायमूर्ति अरविंद सिंह की खंडपीठ ने तीन अन्य सह अभियुक्तों गुरमीत सिंह, लखविंद्र सिंह व शमशेर सिंह को निचली अदालत द्वारा दी गई उम्र कैद की सजा को बहाल रखा। इन तीनों लोगों पर हत्या के साजिशकर्ताओं की मदद करने का आरोप है।
हाई कोर्ट ने कहा कि जगतार सिंह हवारा बेअंत सिंह की हत्या की साजिश रचने में शामिल था, लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे यह साबित हो कि वह 30-31 अगस्त 1995 को यहां स्थित सचिवालय के पास मौजूद था। चंडीगढ़ की विशेष अदालत ने बेअंत सिंह हत्याकांड के अभियुक्तों जगतार सिंह हवारा व बलवंत सिंह को फांसी की सजा और सह अभियुक्तों गुरमीत सिंह, लखविंद्र सिंह एवं शमशेर सिंह को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
बलवंत सिंह को छोड़ शेष सभी अभियुक्तों ने विशेष अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। बलवंत ने हाई कोर्ट को एक पत्र लिखकर मांग की थी चूंकि वह अपने बचाव में कुछ नहीं कहना चाहता, इसलिए उसे जल्द फांसी दी जाए। हाई कोर्ट ने उसे पहली अक्टूबर को अपने समक्ष पेश करवाकर उसका पक्ष जानकर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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