संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता संबंधी भारत के दावे को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा की गयी टिप्पणी पर वाम दलों ने निराशा जतायी वहीं कांग्रेस ने उनसे अलग राय व्यक्त की।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ हम राष्ट्रपति बराक ओबामा के विचारों का सम्मान करते हैं लेकिन तथ्य यह है कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अन्य प्रमुख देश भी चाहते हैं कि सुरक्षा परिषद 2010 की वास्तविकता को परिलक्षित करे न कि 1945 की। ’’ तिवारी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुधार जारी है। अमेरिका और अन्य विभिन्न पक्ष सक्रिय रूप से इस प्रक्रिया में शामिल हैं।
उधर वाम दलों ने कहा कि वे ओबामा के बयान से निराश हैं। लोकसभा में माकपा के नेता बासुदेव आचार्य ने कहा कि निश्चित तौर पर यह निराशाजनक बयान है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को चीन तथा ब्राजील जैसे देशों के साथ संपर्क करना चाहिए।
भाकपा नेता डी राजा ने कहा कि ओबामा के बयान से परिलक्षित होता है कि भारत के दावों के समर्थन में उसे आपत्ति है।
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