
न्यायालय ने इस नीति को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह सामाजिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है और एक ‘मर रहे शख्स के साथ मजाक’ सरीखा है ।
आदेश पारित करते हुए न्यायमूर्ति एस यू खान ने कहा कि ऐसी नीति, यदि यह कानून के मुताबिक ही क्यों न हों, सामाजिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है और ऐसे उपायों से बचने के लिए सरकार को एक कल्याणकारी राज्य का मुखौटा उतारना होगा।
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