अदालत ने मुंबई पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 292 :अश्लील सामग्री का सार्वजनिक प्रदर्शन: के तहत सीमा शुल्क अधिकारियों सहित 28 पुरुषों और 11 महिलाओं के खिलाफ एक आपराधिक मामले को खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी।
न्यायमूर्ति वी के टहिलरमानी ने कहा, ‘‘भारतीय दंड संहिता में निर्दिष्ट के समान इस मामले में कोई सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं था।’’ पुलिस ने लोनावाला के प्रिची हिल में ताज कॉटेज में हो रही एक रेव पार्टी का भंडाफोड़ कर यह मामला दायर किया था।
पुलिस का आरोप था कि पुरुष मदहोश थे, वे नाच रही महिलाओं पर नोट फेंक रहे थे और एक पॉर्न फिल्म देख रहे थे।
लेकिन उच्च न्यायालय ने कहा कि यह फिल्म एक निजी आवास में देखी जा रही थी और यह कॉटेज कोई होटल या लॉज नहीं था इसलिए इसे सार्वजनिक स्थल करार नहीं दिया जा सकता।
उच्च न्यायालय ने कहा कि यह फिल्म एक निजी आवास में देखी जा रही थी और यह कॉटेज कोई होटल या लॉज नहीं था इसलिए इसे सार्वजनिक स्थल करार नहीं दिया जा सकता।
ReplyDeleteThen what about prostitution being conducted at personal residence ? I guess according to this court that would be allowed also. This joker must define "niji awwaas" & then render his decision.
Naresh Khanna