स्पेक्ट्रम घोटाला को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए जनता पार्टी के अध्यक्ष ने इस मामले में अटार्नी जनरल द्वारा प्रधानमंत्री का पक्ष रखे जाने पर आपत्ति जताई है। स्वामी का कहना है कि इससे हितों का टकराव होगा। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से लिखित जवाब मांगे जाने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए अटॉर्नी जनरल जी ई वाहनवती की मदद ली है। इससे पहले अदालत में सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम अब दूरसंचार मंत्रालय का पक्ष रखेंगे।
सूत्रों के मुताबिक पीएमओ अब तक अदालत में सरकार का पक्ष रखे जाने के रवैये से संतुष्ट नहीं है इसलिए सरकार ने अपनी ‘लीगल टीम’ में बदलाव किए हैं। हालांकि स्वामी ने कहा है कि उन्हें इस बात से आपत्ति नहीं है कि वाहनवती अदालत में प्रधानमंत्री का पक्ष रखेंगे लेकिन यदि वह 2जी स्पेक्ट्रम मामले के लिए कोर्ट में खडे़ होते हैं तो इस पर उन्हें आपत्ति है क्योंकि राजा ने वाहनवती से स्पेक्ट्रम मसले पर कानूनी राय मांगी थी। हालांकि वाहनवती ने इससे इनकार किया है कि उन्हें दूरसंचार मंत्रालय को किसी तरह की राय दी है। अटार्नी जनरल ने यह भी कहा कि स्पेक्ट्रम मामले में अदालत में प्रधानमंत्री का पक्ष रखने से हितों का टकराव नहीं होगा।
स्वामी ने कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी के उस बयान की भी कड़ी आलोचना की जिसमें उन्होंने कहा था कि चूंकि जनता पार्टी नेता ने कोर्ट में कोई शिकायत नहीं दर्ज की है इसलिए राजा के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता। स्वामी ने कहा, 'यही सवाल सॉलिसिटर जनरल ने क्यों नहीं किया था जब वे सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के किसी जज ने भी यह सवाल नहीं खड़ा किया।'
स्वामी ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने के लिए प्रधानमंत्री की ओर से निर्देश दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। करीब 1.76 लाख करोड़ के इस घोटाले के चलते दूरसंचार मंत्री की कुर्सी गंवाने वाले ए. राजा के खिलाफ पीएम की चुप्पी पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को लिखित जवाब देने के लिए शनिवार तक मोहलत दी है। इस मामले पर अगली सुनवाई 23 नवंबर को होनी है।
वाहनवती ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने उनसे इस मामले में प्रधानमंत्री का प्रतिनिधित्व करने को कहा है। बहरहाल उन्होंने यह बताने से इंकार कर दिया कि सरकार ने उनको इस संबंध में कोई विशेष निर्देश दिया है या नहीं। इस बारे में जब सुब्रमण्यम से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर वह सर्वोच्च न्यायालय में केंद्र सरकार और दूरसंचार मंत्रालय का प्रतिनिधित्व करते रहेंगे जबकि अटार्नी जनरल प्रधानमंत्री के प्रतिनिधि होंगे।
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