कई दिनों तक चले सियासी गहमागहमी के दौर के बाद आखिरकार दूरसंचार मंत्री ए. राजा की कैबिनेट से विदाई हो गई। करोड़ों रुपये के स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोपी और डीएमके कोटे से मंत्री बने राजा केंद्र की सत्तारूढ़ यूपीए सरकार के दूसरे शासनकाल के दूसरे ‘शिकार’ हुए हैं।
इससे पहले आईपीएल विवाद में नाम आने के बाद तत्कालीन विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर को मंत्री पद से हटाया गया था। हालांकि यूपीए सरकार में अब भी कई ऐसे मंत्री हैं जिन पर 'दाग' लगा है। अपनी टिप्पणियों को लेकर अक्सर विवादों में रहे शशि थरूर दिन प्रतिदिन कांग्रेस के लिए मुसीबत बनते जा रहे थे। मंत्री बनने के बाद सरकारी बंगले के बजाय पांचसितारा होटल को अपना आशियाना बनाने वाले शशि थरूर काफी हो हल्ला के बाद होटल से हटे। लेकिन आईपीएल की कोच्चि टीम में अपनी मित्र (अब पत्नी) सुनंदा पुष्कर की हिस्सेदारी को लेकर उठे बवाल के बाद केंद्र उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने पर मजबूर हो गई।
राजा की कैबिनेट से विदाई के बाद जिन बड़े नेताओं का संचार मंत्री के पद के लिए आ रहा है, उनमें डीएमके टी आर बालू भी प्रमुख हैं। हालांकि बालू पर भी विवादों का साया मंडराता रहा है। केंद्र की राजग और यूपीए सरकारों में मंत्री रह चुके बालू को विवादों के चलते ही करीब डेढ़ साल पहले यूपीए के दोबारा सत्ता में आने के बाद मंत्री का ओहदा नहीं दिया गया था। बालू पर पर्यावरण की सुरक्षा को ताक पर रखकर अपनी डिस्टिलरी यूनिट स्थापित करने और पर्यावरण मंत्री रहते हुए इसकी मंजूरी के लिए अपने ओहदे का दुरुपयोग करने का आरोप है।
वहीं कांग्रेस के ‘वफादारों’ में से एक नटवर सिंह को भी उनका बड़बोलापन महंगा पड़ा था। यूपीए के पहले शासनकाल में विदेश मंत्री रहे नटवर और उनके बेटे का नाम इराक के लिए ‘फूड फॉर आयल’ घोटाला में आने के बाद कैबिनेट से तो हटना ही पड़ा, पार्टी ने भी उनसे किनारा कर लिया है।
मुंबई की आदर्श सोसाइटी घोटाला में नाम आने के बाद अशोक चव्हाण से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पद छीनने के साथ ही कांग्रेस ने भ्रष्टाचार को लेकर ‘सफाई’ अभियान चलाया है। लेकिन कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में मौजूदा मंत्रियों अब भी कुछ मंत्री ऐसे हैं जिन पर ‘दाग’ लगे हैं।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और नेशनल इलेक्शन वॉच नाम के दो एनजीओ ने इस बारे में एक अध्ययन कर जानकारी जुटाई है। इनके मुताबिक केंद्र सरकार में नौ मंत्री ऐसे भी हैं जिन पर आपराधिक मुकदमे लंबित हैं। यही नहीं, एक मंत्री के ऊपर तो चोरी के गंभीर आरोप भी लगे हैं। इन एनजीओ ने चुनाव के वक्त नेताओं की ओर से दाखिल हफलनामा का हवाला देते हुए कहा है कि कुल नौ मंत्रियों में से 7 कांग्रेस से जबकि एक-एक डीएमके और तृणमूल कांग्रेस से हैं।
कांग्रेस के मंत्रियों में सुबोध कांत सहाय, मुकुल वासनिक, अजय माकन, हरीश रावत, अरुण यादव, प्रतीक प्रकाशबापू पाटिल और प्रदीप जैन शामिल हैं जबकि तृणमूल कांग्रेस के शिशिर अधिकारी और डीएमके के गांधीसेल्वन का नाम है। अधिकारी ने अपने हलफनामा में कबूल किया है कि उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 379 के तहत चोरी का मुकदमा दर्ज है।
अन्य मंत्रियों के खिलाफ मानहानि और कुछ अन्य के मामले हैं। केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण राज्यमंत्री सुबोध कांत सहाय पर अपने ओहदे का दुरुपयोग करते हुए एक रिश्तेदार को दहेज हत्या और क्रूरता जैसे अपराधों के तहत जेल में बंद करवाने और उसे परेशान करने का आरोप है।
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