गंगोत्री मंदिर में अब दलित लड़कों को भी धर्म और कर्मकांड की शिक्षा दी जाएगी। यह ऐतिहासिक फैसला गंगोत्री के मुख्य पुजारी और प्रबंध अध्यक्ष पंडित संजीव सेमवाल ने लिया।
इस मामले की पहल सांसद तरुण विजय ने गंगोत्री मंदिर में एक बैठक में की। लंबे विचार-विमर्श के बाद पुजारी इसके लिए तैयार हो गए। मंदिर के पंडितों के मुताबिक यह फैसला हिंदू समुदाय की विभिन्न जातियों के बीच मौजूद भेदभाव को मिटाने में सहायक होगा।
तरुण विजय ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया और कहा कि पुजारी को दिल्ली में एक भव्य समारोह में सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसका सिस्टम जल्द ही तय कर लिया जाएगा।
तरुन विजय की पहचान भाजपा नेता के स्थान पर संघ के स्वयंसेवक की ज्यादा है...अच्छा समाचार
ReplyDeleteविदेशियों ने हमारे मध्य जो ऊंच नीच का भेदभाव और घृणा का भाव फैलाया .. उसे दूर किया जाना आवश्यक है !!
ReplyDeleteपूर्व आई पी एस अधिकारी , इतिहास वेत्ता और संस्कृत विद्वान किशोर कुणाल ने वेद , पुराण , धर्मग्रंथो और प्राचीन इतिहास के उद्धरणों से साबित किया है कि शूद्र या दलितों का हिन्दू समाज में हमेशा ही सम्मानित स्थान रहा है। इस विषय पर अपने अध्ययन और शोध के आधार पर उन्होने 'दलित देवो भव' नाम से एक पुस्तक भी लिखी है। 700 पन्नों की यह पुस्तक शूद्रों की अवधारणाओं को नए स्तर तक ले जाती है, बिहार में हिन्दू धर्म को उसके वास्तविक स्वरूप पर वापस लाने के लिए बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक आचार्य किशोर कुणाल के नेतृत्व में पालीगंज के राम जानकी मंदिर में मुसहर जाति के जनार्दन मांझी , विश्वनाथ मंदिर में चंदेश्वर पासवान , बटेश्वर नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में दलित जमुना दास जैसे दलित पुजारियों की नियुक्ति की गयी है।