तालिबान की धमकी के बाद पाकिस्तान के वकीलों ने सरकार की तरफ से आतंकियों के खिलाफ मुकदमा लड़ने से इनकार कर दिया है। दो वकीलों ने शनिवार को कोर्ट में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उन्हें तथा उनके परिवारों को जान के खतरे के मद्देनजर वे ऐसा कर रहे हैं।
ये वकील सिंध प्रांत की सरकार की ओर से मुकदमा लड़ रहे थे। उन्होंने कोर्ट को यह जानकारी सिंध की राजधानी कराची में हुए बम विस्फोट के दो दिन बाद शनिवार को दी। इस विस्फोट में 18 लोग मारे गए थे तथा 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। गुरुवार को सीआईडी के दफ्तर पर 10 आतंकियों ने हमला किया था। दोनों वकीलों मुहम्मद खान बारो तथा मुबशिर मिर्जा ने बहस के दौरान आतंक-रोधी कोर्ट के जज को बताया कि अब वे इस मामले में सरकार की ओर से मुकदमा नहीं लड़ सकते। उन्हें तथा उनके परिवार को जान का खतरा है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि उन्होंने सरकार से सुरक्षा मांगी थी, जिसे देने से सरकार ने मना कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में अब गृह सचिव तथा राज्य के प्रोसीक्यूटर जनरल को अगली सुनवाई पर तलब किया है। कराची सीआईडी दफ्तर पर हमले के लिए केंद्रीय गृहमंत्री रहमान मलिक ने तालिबान से जुड़े लश्करे झांगवी को जिम्मेदार बताया है।
सीआईडी ने आतंकियों और प्रतिबंधित उग्रवादी गुटों के खिलाफ अभियान चला रखा है। उसने लश्करे झांगवी के 6 आतंकियों को गिरफ्तार भी कर रखा है। तालिबान के लड़ाके कई महीनों से अपने साथियों को छुड़वाने के लिए देशभर में सुरक्षाबल के जवानों को निशाना बना रहे हैं।
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