
गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने भी तिवारी की याचिका को खारिज करते हुए पितृत्व संबंधी याचिका में से कुछ पैराग्राफ हटाने के आदेश दिए थे। साथ में तिवारी को शेखर को ७५ हजार रुपए हर्जाना भरने का भी आदेश दिया था।
जिसके बाद तिवारी डिवीजनल बेंच में याचिका दायर की। २४ सितंबर को जस्टिस विक्रमजीत सेन और मुक्ता गुप्ता की संयुक्त बेंच ने दोनों पक्षों की सुनने के बाद फैसला रिजर्व कर दिया था।
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