रुचिका मामले में दोषी करार दिए गए पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी। रुचिका से छेड़खानी और सूइसाइड मामले में 18 महीने की जेल काट रहा राठौर अब रिहा हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सीबीआई की सिफारिश पर किया। मामले की जांच कर रही सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राठौर के खिलाफ दोष तय नहीं होते हैं। सीबीआई ने कहा कि रुचिका ने जब आत्महत्या की तब राठौर चंड़ीगढ़ में नहीं था।
सीबीआई का कहना है कि परिवार वालों का यह आरोप भी बेबुनियाद बताया कि राठौर के दबाव के चलते रुचिका की बॉडी परिवार वालों को देर से सौंपी गई। सीबीआई ने कहा कि पोस्टमॉर्टम डिपार्टमेंट की ओर से उन्हें अगली सुबह बॉडी सीबीआई ने इस आरोप को भी बेबुनियाद बताया है कि राठौर ने रुचिका के भाई को टॉर्चर किया और झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई। सीबीआई का कहना है कि रुचिका के भाई आशु के खिलाफ कार चोरी के मामलों में शामिल होने के सबूत हैं।
कोर्ट ने रुचिका के पिता और भाई को इस पर आपत्ति दर्ज करने के लिए 25 नवंबर तक का समय दिया है। यहां बता दें कि रुचिका ने 1993 में आत्महत्या कर ली थी। हरियाणा के उस वक्त के डीजीपी एस.पी.एस. राठौड़ पर रुचिका से छेड़छाड़ करने और उसे परेशान करने का आरोप लगा था।
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