सीबीआई ने गिरफ़्तार किए गए बैंक ऑफ़ इंडिया, सैंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया,पंजाब नेशनल बैंक और एलआईसी हाउसिंग फ़ाइनेंस के अधिकारियों पर कर्ज़ देने की एवज़ रिश्वत लेने का आरोप लगाया है.
एक निजी कंपनी 'मनी मैटर्स' के अधिकारियों को भी इस घोटाले में शामिल होने के लिए गिरफ़्तार किया गया.
गिरफ़्तार किए गए लोगों पर पांच अलग-अलग मुक़द्दमें दायर किए गए हैं.
इनमें से सबसे बड़ी गिरफ़्तारी एलआईसी हाउसिंग फ़ाइनेंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामचंद्रन नायर की है.
नायर के अलावा एलआईसी के सचिव (निवेश) नरेश चोपड़ा, बैंक ऑफ़ इंडिया के प्रबंध निदशेक (दिल्ली) आरएन तायल, सैंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया के निदेशक (चार्टर्ड एकाउंटेंट) मनिंदर सिंह जौहर और पंजाब नेशनल बैंक के डिप्टी जनरल मैनेजर वेंकोबा गज्जल शामिल हैं.
इनके अलावा निजी कंपनी 'मनी मैटर्स' के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक राजेश शर्मा को भी गिरफ़्तार किया गया है.
इस निजी कंपनी के दो अन्य अधिकारियों को भी सीबीआई ने गिरफ़्तार किया है.
सीबीआई ने एक बयान में कहा है कि 'मनी मैटर्स' नाम की निजी कंपनी सरकारी बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों को रिश्वत देकर बड़े कॉर्पोरेट ऋण दिलवा रही थी.
सीबीआई के अनुसार उन्होंने इस मामले में मुंबई, जयपुर, दिल्ली,चेन्नई और जालंधर में छापे मारे हैं.
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