सुप्रीम कोर्ट ने टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के खिलाफ अभियोग चलाने की अनुमति देने की मांग करने वाले आवेदन पर फैसला करने में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरफ से विलंब को लेकर मंगलवार को कुछ परेशान करने वाले सवाल पूछे।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एके गांगुली की पीठ ने जनता पार्टी अध्यक्ष और पूर्व कानून मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या अनुमति देने वाला प्राधिकार [इस मामले में प्रधानमंत्री] शिकायत को दबा सकता है। पीठ ने सरकार की तरफ से पेश हुए सालीसीटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम से कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमति देने के लिए निर्धारित की गई तीन महीने की समयसीमा निष्पक्ष और सुशासन के लिए है। पीठ ने कहा कि हम पाते हैं कि अब 16 महीने से अधिक का समय बीत चुका है। अनुमति देने वाला प्राधिकार कह सकता है कि मैं अनुमति देने को तैयार नहीं हूं लेकिन हम इस कथित निष्क्रियता और चुप्पी को परेशान करने वाला पाते हैं।
उन्होंने कहा कि अनुमति देने वाला प्राधिकार हां या ना कह सकता है। पीठ इस बात को लेकर स्पष्ट थी कि मामले में सक्षम प्राधिकार [प्रधानमंत्री] को हवाला मामले से संबंधित विनीत नारायण मामले में सुनाए गए फैसले में निर्धारित किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार स्वामी की ओर से शिकायत मिलने के तीन महीने के भीतर कार्रवाई करनी चाहिए थी। पीठ ने कहा कि विनीत नारायण मामले में सुनाए गए फैसले में सक्षम प्राधिकार के लिए अनुमति देने की समयसीमा तीन महीने निर्धारित की गई थी।
अनुमति देने वाले प्राधिकार को आवेदन को अटार्नी जनरल के पास भेजने या सलाह-मशविरा करने की स्वतंत्रता है। न्यायालय ने राजा के खिलाफ अभियोग चलाने की अनुमति मांगने से जुड़े पत्र के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा पर भी असंतोष जताया। न्यायालय को सूचित किया गया कि स्वामी की ओर से प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र पर पहला जवाब 19 मार्च 2010 को मिला जिसमें यह कहा गया कि उनके द्वारा दी गई अर्जी जल्दबाजी में है क्योंकि सीबीआई अभी जांच कर रही है।
पीठ ने कहा कि जब इस तरह का पत्र सर्वोच्च प्राधिकार की तरफ से आता है तो सर्वोच्च प्राधिकार की टिप्पणी में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा का इस्तेमाल बेहद सावधानीपूर्वक होना चाहिए। कांग्रेस ने साधी चुप्पी उधर, इस मामले में कांग्रेस ने आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार से स्पष्टीकरण मांगे जाने पर कोई प्रतिक्रिया देने से इंकार किया। पार्टी प्रवक्ता शकील अहमद ने यहां संवाददाताओं द्वारा ए राजा मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बारे में पूछे जाने पर कहा कि मुझे पता नहीं है कोर्ट ने क्या कहा है, क्या यह टिप्पणी है, निर्देश है या आदेश है, जब तक डिटेल नहीं देख लेते उस पर कुछ कहना उचित नहीं होगा।
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