पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंदू समुदाय के सदस्यों की हत्या और फिरौती के लिए अपहरण की घटनाएं बढ़ जाने के कारण 27 हिंदू परिवारों ने भारत में राजनीतिक शरण मांगी है। इन परिवारों ने भारत जाने के कारण के रूप में फिरौती के लिए अपहरण और हत्या की घटनाओं में वृद्धि का जिक्र किया है।
समाचार पत्र 'डॉन' में सोमवार को प्रकाशित खबर के अनुसार संघीय मानवाधिकार मंत्रालय से सम्बद्ध क्षेत्रीय निदेशक, सईद अहमद खान ने 'बलूचिस्तान संकट पर प्रांतीय सम्मेलन' शीर्षक पर आयोजित एक संगोष्ठी में यह जानकारी दी है। खान ने कहा है कि बलूचिस्तान में सदियों से हिंदू निवास कर रहे हैं। लेकिन, हाल के सप्ताहों में अल्पसंख्यक समुदाय के कई सदस्यों को या तो अगवा कर लिया गया या फिर उनकी हत्या कर दी गई। इस कारण वे भारत में शरण लेने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
अखबार ने खान के हवाले से कहा है, 'बलूचिस्तान के 27 हिंदू परिवारों ने भारत में शरण लेने के लिए भारतीय दूतावास में आवेदन भेजा है।' खान ने कहा है कि यह एक गम्भीर चिंता का विषय है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि वह बलूचिस्तान में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए।
मानवाधिकार मंत्रालय के आंकड़े भी बताते हैं कि बलूचिस्तान में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और लोगों को फिरौती के लिए अगवा किया जा रहा है। नेशनल पार्टी के उपाध्यक्ष इशाक बलूच ने कहा कि बलूच युवक निराश हो गए हैं, क्योंकि उन्हें उनके अधिकारों से वंचित कर दिया गया है और उनकी राष्ट्रीय पहचान को मान्यता नहीं दी गई है। हजारा डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष अब्दुल खालिक हजारा ने बलूचिस्तान में कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति के लिए अराजक तत्वों को जिम्मेदार ठहराया है। बलूचिस्तान में फिरौती के लिए अपहरण करने वाले 100 से अधिक समूह सक्रिय हैं।
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