वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने चीन के प्रधानमंत्री वान च्यापाओ द्वारा दिए जाने वाले मैत्री पुरस्कार को लेने से इंकार कर दिया है। कर्ण सिंह खुद को चीन समर्थक के तौर पर प्रदर्शित नहीं करना चाहते हैं।
कर्ण सिंह का यह कदम ऐसे समय सामने आया है, जब भारत में चीन द्वारा कश्मीर के लोगों को नत्थी किया हुआ वीजा देने के कदम पर विरोध हो रहा है। चीन के इस कदम का मतलब उस चीन द्वारा कश्मीर के भारत में एकीकरण पर सवालिया निशान लगाया जाना माना जाता है।
राज्यसभा सदस्य और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष कर्ण सिंह पुरस्कार समारोह में शामिल नहीं हुए। समारोह में सीपीएम नेता सीताराम येचुरी को भी सम्मानित किया गया। उनके साथ ही प्रफेसर तान चुंग, जी. विश्वनाथन, जी. बनर्जी, एम. मोहंती, एस. चक्रवर्ती, भास्करन, शेरदिल और पल्लवी अय्यर को भी सम्मानित किया गया।
संपर्क किए जाने पर कर्ण सिंह ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।
कर्ण सिंह जी ने अच्छा उदाहरण पेश किया है।
ReplyDelete