जम्मू-कश्मीर के बाशिंदों के लिए चीन ने अब स्टेपल वीजा देना बंद कर दिया है। चीन ने यह कदम बिना किसी आधिकारिक घोषणा के उठाया है। आला सरकारी अधिकारियों के मुताबिक चीन ने इसकी आधिकारिक घोषणा इसलिए नहीं की है क्योंकि यह जाहिर नहीं होने देना चाहता है कि यह कदम भारत के दबाव में उठाया गया है।
नई दिल्ली में एक आला सरकारी सूत्र ने कहा है कि स्टेपल वीजा मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए भारत की ओर से भी इस बारे में आधिकारिक तौर पर बयान नहीं जारी किया जा रहा है।
चीन के प्रधानमंत्री वन च्या पाओ ने 15-17 दिसंबर के भारत दौरे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बातचीत के दौरान अपनी ओर से ही नत्थी वीजा के मसले को छेड़ा था और कहा था कि यह मसला अधिकारियों के बीच बातचीत में सुलझा लिया जाएगा। इस तरह चीनी प्रधानमंत्री वन च्या पाओ ने यह कहने की कोशिश की थी कि यह इतना बड़ा मसला नहीं है कि इस पर दो प्रधानमंत्रियों के बीच बातचीत हो। अब यहां आला अधिकारियों का कहना है कि चीन ने बिना किसी सार्वजनिक ऐलान के जम्मू-कश्मीर के बाशिंदों को सामान्य वीजा जारी करना शुरू कर दिया है।
वास्तव में, प्रधानमंत्री वन च्या पाओ के भारत आने के पहले ही चीन ने एशियाई खेलों के लिए गई जम्मू की एक कलाकार को सामान्य वीजा जारी किया था। लेकिन तब इसे एशियाई खेलों से जोड़कर देखा गया था और यहां चीनी दूतावास की प्रवक्ता ने इस बारे में जवाब दिया था कि चीन की वीजा नीति में कोई बदलाव नहीं आया है।
चीन ने पिछले कुछ सालों से जम्मू-कश्मीर के लोगों के पासपोर्ट पर नत्थी वीजा जारी करना शुरू किया था, क्योंकि चीन ने जम्मू-कश्मीर को एक विवादास्पद इलाका बताया था। लेकिन इसी साल जुलाई में जब थलसेना के उत्तरी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बी. एस. जसवाल को जम्मू-कश्मीर में तैनात होने की वजह से चीन ने स्टेपल वीजा देने की कोशिश की, तो भारत ने उनकी अगुवाई में चीन जा रहे सैन्य शिष्टमंडल का चीन दौरा रद्द कर दिया। इसके बाद भारत ने चीन के साथ रक्षा संबंध स्थगित करने की घोषणा की।
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