सरकार की ओर से दूरसंचार नीति की जांच उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश से कराने की घोषणा पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा ने आज कहा कि संसद से बाहर ऐसे गंभीर विषय पर घोषणा करना विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘ जब संसद का सत्र चल रहा हो, उस समय इस सर्वोच्च संस्था से बाहर इस प्रकार की घोषणा :टेलीकाम मामले की जांच: करना गंभीर विषय है।’’ उन्होंने कहा कि अगर कोई घोषणा करनी थी तो संसद का सत्र चल रहा था, सरकार को सदन में इसकी घोषणा करनी चाहिए थी।
जोशी ने कहा, ‘‘ यह निश्चित तौर पर एक गंभीर विषय है और विशेषाधिकार हनन का मामला भी बनता है।’’ गौरतलब है कि सरकार ने वर्ष 2001 से 2009 के बीच की दूरसंचार नीति और स्पेक्ट्रम आवंटन में अनियमितता की जांच उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायधीश से कराने का फैसला किया है। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने इसके लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश न्यायमूर्ति शिवराज वी पाटिल की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति का गठन किये जाने की कल घोषणा की थी।
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