मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह केंद्रीय परियोजनाओं को लेकर बिहार की जनता को गुमराह कर रहे हैं। नीतीश ने यह टिप्पणी मनमोहन के उस कथन के संदर्भ में की जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार सरकार केंद्र प्रायोजित योजनाओं को लेकर प्रदेश की जनता को गुमराह कर रही है तथा उन्हें लागू करने में अपनी जिम्मेदारी ठीक ढंग से नहीं निभा रही।
मुख्यमंत्री ने इसके लिए खुली बहस की चुनौती देते हुए कहा, 'गुमराह हम नहीं वही कर रहे हैं।' राजग के घटक दल जदयू और भाजपा द्वारा संयुक्त रूप से बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा कि कहा कि प्रधानमंत्री बड़े आदमी हैं और वह उनकी इज्जत करते हैं। भले ही वह दूसरे दल के नेता हैं और उन्हें अपनी पार्टी के लिए वोट मांगने का भी अधिकार है, लेकिन वह उनसे इतना जरूर कहना चाहेंगे कि अभी तक राशि के दुरुपयोग की कला उन्होंने नहीं सीखी और न ही वैसी सोहबत उन्हें मिली है। नीतीश के साथ वरिष्ठ भाजपा नेता अरूण जेटली भी मौजूद थे।
नीतीश ने प्रधानमंत्री के बयान को दुखद बताते हुए कहा कि दूसरे पर असत्य आरोप लगाना और मनगढ़ंत बातें कहना कहां तक उचित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव के दौरान लोग अपनी बातें रखते हैं। उन्होंने एक मर्यादा के अंदर अपना अभियान छेड़ा है, लेकिन अगर दूसरे मर्यादा को तोड़कर असंयमित बयानबाजी करें तो यह ठीक नहीं है। बिहार की जनता इन सब चीजों को देख रही है।
नीतीश ने कहा कि लालू जी का पिछला लेखा-जोखा सबके सामने है। 15 साल उन्होंने बिहार के लिए जो कुछ 'कमाल' किया है, जनता भी इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में 'कमाल' का प्रति उत्तर देगी। नीतीश कुमार ने कहा कि कांग्रेस पार्टी बिहार में अपना जनाधार बनाने की कोशिश में लगी है और उसका भी पिछला लेखा-जोखा सबके सामने है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1997 में बिहार में जब राजद की सरकार अल्पमत में आ गई तो उसकी रक्षा के लिए कांग्रेस पार्टी आई और उसे बचाया। वर्ष 2000 में दोनों दलों ने एक-दूसरे से अलग होकर चुनाव लड़ा। जैसा इस बार हो रहा, तब भी वैसे ही चुनाव में उनके तमाम बडे़ नेताओं ने चुनाव प्रचार किया और उसमें वही बातें कहीं जो आज कह रहे हैं। उस समय भी कांग्रेस के नेताओं ने कहा था कि वे राजद के साथ कभी नहीं जाएंगे लेकिन वर्ष 2000 के चुनाव के बाद जब त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति उत्पन्न हुई और पहले सरकार बनाने का उन्हें मौका मिला तो कांग्रेस पार्टी ने फिर राजद का साथ देने का फैसला किया और एक साझा सरकार का गठन हुआ।
उन्होंने कहा कि उस समय कांग्रेस पार्टी के 23 विधायक थे और उसमें एक बिहार विधानसभा सभा के अध्यक्ष बने और बाकी अन्य मंत्री बने। कांग्रेस और राजद के आज भी मिले होने का आरोप लगाते हुए नीतीश ने कहा कि इस बार भी एक तय रणनीति के तहत वे एक-दूसरे पर सीधा हमला कर रहे हैं और उसके लिए कोई प्रमाण नहीं प्रस्तुत करते।
नीतीश ने कहा कि उन्होंने कई बार यह सवाल उठाया है कि लोकसभा में चार सदस्यों वाली पार्टी राजद के नेता लालू प्रसाद को सदन में अगली सीट किसकी कृपा से मिली हुई है। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस और राजद के बीच के अंतरंग संबंधों को पुख्ता करता है।
कांग्रेस पार्टी को लेकर लोगों का पुराना तजुर्बा है कि जब भी वह केंद्र में आती है मंहगाई बढ़ाने के साथ ही लोकतांत्रिक संस्थाओं और परंपराओं को तोड़ने का काम करती है तथा संघीय ढांचे पर हमला करती है।
नीतीश ने कहा कि इस बार भी देश में मंहगाई पूर्व की कांग्रेस सरकारों की तरह बेतहाशा बढ़ी है और संघीय ढांचे पर हमला किया जा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा कल दिए गए बयान पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि उनको पार्टी से अलग होकर चीजों को देखना चाहिए।
नीतीश ने कहा कि वह पिछले पांच साल से प्रधानमंत्री को बिहार आने का न्योता देते रहे, पर उनको वक्त नहीं मिला। उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग रखने के लिए सर्वदलीय शिष्टमंडल के लिए प्रधानमंत्री से समय मांगा पर वर्ष 2006 से आज तक उन्हें समय नहीं दिया गया।
प्रधानमंत्री के इस बयान पर कि केंद्र की सप्रंग सरकार द्वारा पिछले छह वर्षो के दौरान बिहार को विशेष पैकेज के तौर पर छह हजार करोड़ रुपये दिए गए, नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री इस प्रकार से तथ्यों की अनदेखी करेंगे, इसकी उम्मीद नहीं थी और उसमें वह सुधार करना चाहेंगे।
नीतीश ने कहा कि बिहार को उक्त राशि वर्ष 2002 से मिल रही है और यह निर्णय संप्रग सरकार का नहीं, बल्कि केंद्र की पिछली राजग सरकार का निर्णय है और इसकी जड़ में बिहार पुनर्गठन विधेयक है।
नीतीश ने प्रधानमंत्री से बिहार पुनर्गठन विधेयक का एक बार पूर्वावलोकन करने का आग्रह करते हुए कहा कि बिहार को एक हजार करोड़ रुपये देने का निर्णय बिहार के बंटवारे के समय उससे झारखंड के अलग होने के समय लिया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2004 में केंद्र में संप्रग की सरकार बनने पर प्रधानमंत्री ने बिहार को विशेष पैकेज देने की बात कही थी पर वह आज तक नहीं मिला और न ही इस प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिया। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त गन्ना से एथनाल बनाने की अनुमति मांगी, वह भी नहीं दी गई और न ही कोल लिंकेज दिया।
नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री योजना आयोग के अध्यक्ष हैं और उक्त राशि के बारे में कुछ भी बोलने से पहले वह योजना आयोग के उपाध्यक्ष से पूछ लेते क्योंकि उक्त राशि तो केंद्रीय एजेंसियों को ही खर्च करनी है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय राशि को लेकर जो आरोप राज्यों पर लगाए जाते हैं, वे नहीं लगाया जाना चाहिए पर केंद्रीय मंत्री धड़ल्ले के साथ ऐसा करके देश के संघीय ढांचा पर हमले कर रहे हैं। नीतीश कुमार ने कहा कि योजनामद के तहत जो सहायता राज्यों को केंद्र से मिलती है, उसका फार्मूला पूर्व से बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि देश में जो कर संग्रहित किए जाते हैं उसके बारे में योजना आयोग तय करता है कि कितना हिस्सा केंद्र के पास रहेगा और कितना राज्यों को मिलेगा। नीतीश ने कहा कि उक्त टैक्स पर राज्यों का भी अधिकार है इसलिए केंद्र जो किसी राज्य को राशि देता है, वह उसकी कृपा नहीं होती।
उन्होंने कहा कि जहां तक केंद्र प्रायोजित योजनाओं की बात है तो उसमें राज्यों को भी अपना हिस्सा लगाना पड़ता है और राष्ट्रीय विकास परिषद में उसे कम किए जाने और उसको लेकर निर्णय राज्यों पर छोड़ने की बात उठाई जा चुकी है।
नीतीश ने कहा कि लेकिन यहां हो यह रहा है कि पूर्व में केंद्र अपने पास जितना रखता था, वर्तमान में उससे ज्यादा अपने पास रख रहा है और कम हिस्सा राज्यों के बीच वितरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे पूर्व में भी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि 20 हजार करोड़ रूपए की योजना आकार में सत्तर प्रतिशत राशि राज्य के आंतरिक स्रोतों के हैं।
इस अवसर भाजपा के वरिष्ठ नेता अरूण जेटली ने केंद्र पर बिहार के साथ भेदभाव बरतने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक अर्थशास्त्री होने के नाते प्रधानमंत्री ने बिहार की वर्तमान आर्थिक स्थिति का विश्लेषण किया होता तो वे उस पर इस तरह का बेबुनियाद आरोप नहीं लगाते।
उन्होंने कहा कि वह प्रदेश की राजग सरकार राज्य के विकास के लिए किए गए कार्यो से संतुष्ट हैं और नीतीश नीत राजग सरकार को दूसरा मौका दिए जाने की जनता के बीच जाकर उनसे अपील करेंगे।