
मलिक की चुनौती के बाद पार्टी झंडा फहराने पर अड़ गई है, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने चेतावनी दी है कि बीजेपी के इस कदम के परिणाम की जिम्मेदार भी वह खुद होगी। उन्होंने कहा कि यदि बीजेपी झंडा फहराती है तो घाटी में एक बार फिर आग लग जाएगी। लंबी अशांति के बाद फिलहाल घाटी शांत है। उन्होंने कहा कि यदि बीजेपी के लाल चौक पर झंडा फहराने के बाद घाटी में अशांति फैलती है तो इसके लिए वे ही जिम्मेदार होंगे।
उन्होंने कहा कि श्रीनगर में सरकारी कार्यक्रम में झंडा फहराया जाएगा फिर अलग से तिरंगा फहराने की क्या जरुरत है। उन्होंने कहा कि सभी जिलों, सेना और पुलिस के दफ्तरों पर ध्वजारोहण होगा, फिर बीजेपी अलग से क्यों कार्यक्रम करना चाहती है। क्या वे हमसे ज्यादा देशभक्त हैं?
भाजपा के इसी ऐलान को यासिन मलिक ने चुनौती दी है। मलिक ने कहा कि मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि यहां आकर झंडा फहराकर दिखाएं। नहीं तो हम बताएंगे कि झंडा कैसे फहराया जाता है। उन्होंने कहा कि भाजपा को लाल चौक में झंडा फहराने की बजाए कश्मीर मसले का हल ढूंढने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यासिन मलिक हुर्रियत कांफ्रेंस की 61वीं वर्षगांठ पर आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे थे।
सेमिनार में उपद्रव के दौरान हुई मौत की एफआईआर दर्ज करने को लेकर अलगाववादी नेताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की बात पर भी जोर दिया।
संयुक्त राष्ट्र से अपेक्षा बेकार : मीरवाइज
संयुक्त राष्ट्र को असफल करार देते हुए हुर्रियत नेता मीरवाइज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र कश्मीर में अपने ही नियम लागू नहीं कर पाया है। अत: संयुक्त राष्ट्र से ज्यादा अपेक्षा रखना व्यर्थ है। मीरवाइज ने इस बात पर जोर दिया की कश्मीर के हल हेतु भारत-पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय निगरानी में कश्मीरियों से बात करनी चाहिए। इसी बीच अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखकर जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कराने का आग्रह किया है।
1990 में हुई तिरंगा फहराने की शुरुआत
१९८९ में कश्मीर में आतंकवाद शुरू होने के बाद लालचौक में तिरंगा फहराने की शुरूआत २६ जनवरी १९९क् को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने की थी। उसके बाद २६ जनवरी १९९२ को भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने लालचौक पर तिरंगा फहराया था
यासीन मालिक हो सैयद गिलानी सब के भीतर क्या हैं ये हम सभी अच्छे से जानते हैं ... इन्हें हीरो क्यों बनाया और किसने बनाया ये भी काफी स्पष्ट हैं फिर भी देश की जनता एक स्वाभिमानी देशभक्त सरकार क्यों नहीं चुन पा रही ... असली मुद्दा ये हैं ... बाकि सब स्वयमेव ही हो जाएगा
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shyam jagota cartoonist
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