
यही नहीं पुलिस ने उन्हें यह तक कह दिया कि प्यास लगी है तो पेशाब पी लो यह कहना है एकता यात्रा से लौटे भाजयुमो कार्यकर्ताओं का।
राजधानी में लौटे दर्जनों घायल कार्यकर्ताओं के चेहरे पर तिरंगा फहराने के लिए ऐसे व्यवहार की पीड़ा साफ देखी जा सकती थी। यह वे कार्यकर्ता थे जो युवा मोर्चा अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और अन्य नेताओं की गिरफ्तारी के बाद छोटे-छोटे गुटों में 26 जनवरी को लालचौक पहुंचे और उनके साथ जम्मूकश्मीर पुलिस द्वारा जानवरों जैसा व्यवहार किया गया।
इन्हीं में एक कार्यकर्ता गुडग़ांव के इंजीनियर के. के. उपाध्याय थे जिन्होंने सबसे पहले तिरंगा फहराने की कोशिश की परंतु पुलिस ने न सिर्फ उनके साथ मारपीट की बल्कि तिरंगा तक फाड दिया। दूसरे गुट की भी कमोबेश यहीं स्थिति हुई और इनमें से अधिकांश के हाथ-पैरों में फे्रेक्चर हो गए। गिरफ्तार भाजपा कार्यकर्ताओं का यह भी कहना था कि अलगाववादियों की तरह ही जम्मूकश्मीर पुलिस ने भी भारतीय कुत्तों वापस जाओ के पोस्टर थामे हुए थे।
भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने बताया कि कार्यकर्ताओं के प्रति जम्मूकश्मीर पुलिस का रवैया आतंकियों से भी बदतर था। कार्यकर्ताओं को थर्ड डिग्री की यातनाएं दी गई और जमा देने वाली ठंड में उनके कपड़े फाड दिए गए।
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