भाजपा संसदीय दल के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तुलना पूर्व सोवियत संघ के तत्कालीन पार्टी प्रमुख निकिता ख्रुशचेव और राष्ट्रपति निकोलई बुल्गानिन से करते हुए कहा कि उन्हें मनमोहन सिंह को देखकर तरस आता है।
आडवाणी ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जब उन्होंने मनमोहन को एक कमजोर प्रधानमंत्री कहना शुरू किया था, तब उनकी पार्टी के ही कुछ लोग कहते थे कि एक भले और ईमानदार आदमी को ऐसा क्यों कह रहे हैं, लेकिन आज वही लोग उनकी बात को सही मानने लगे हैं।
उन्होंने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन को देखकर तरस आता है, क्योंकि, 'मैंने आज तक इतना कमजोर प्रधानमंत्री कभी नहीं देखा।' इस संदर्भ में उन्होंने 1955 में सोवियत संघ के तत्कालीन राष्ट्रपति बुल्गानिन और सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव ख्रुशचेव की भारत यात्रा का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि उस समय वह पत्रकार हुआ करते थे और सोवियत अधिकारियों ने उन सहित पत्रकारों को हिदायत दी कि वे अपनी रिपोर्टिंग में ख्रुशचेव को ज्यादा महत्व दें, न कि बुल्गानिन को। आडवाणी ने कहा कि उन अधिकारियों का कहना था कि कम्युनिस्ट व्यवस्था में पार्टी महासचिव का महत्व राष्ट्रपति से कहीं अधिक होता है।
भाजपा नेता ने कहा कि आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया और मनमोहन की जोड़ी को देखकर उन्हें तत्कालीन सोवियत नेताओं की याद हो आई और यह सवाल भी पैदा हुआ कि भारत में ये कम्युनिस्ट व्यवस्था कैसे लागू हो रही है।
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