जनता पार्टी प्रमुख सुब्रमण्यम स्वामी ने केंद्र को श्रीनगर के लालचौक पर तिरंगा फहराने को लेकर दायित्व बाध्य करार देते हुए रविवार को कहा कि यदि राज्य सरकार वहां राष्ट्रीय ध्वज फहराने में सहयोग करने में विफल रहती है तो जम्मू कश्मीर में केंद्र शासन लगा दिया जाना चाहिए।
स्वामी ने यहां जारी एक बयान में कहा कि संविधान में उल्लेखित नियमों के पालना के तहत संप्रग सरकार का यह दायित्व है कि वह लाल चौक पर आधिकारिक रूप से तिरंगा फहराए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मामलों की केबिनेट समिति ने वर्ष 1991 में जनवरी के पहले सप्ताह में इस संबंध में एक प्रस्ताव मंजूर किया था।
उन्होंने कहा कि उस समय चंद्रशेखर प्रधानमंत्री थे और वह केंद्रीय कानून, न्याय एवं वाणिज्य मंत्री थे। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ मंत्री एवं सीसीपीए का सदस्य होने के नाते मैं यह मुद्दा सीसीपीए में उठाया था क्योंकि वी पी सिंह सरकार ने इस मामले पर विचार करने के बाद वर्ष 1990 में लाल चौक पर झंडा फहराने की परंपरा पर रोक लगाने का फैसला किया क्योंकि इससे राज्य की जनता की भावनाओं को ठेस पहुंच सकती थी।
स्वामी ने कहा कि चंद्रशेखर सेवा प्रमुख, गुप्तचर प्रमुखों और केबिनेट सचिव से बात करने के बाद मुझसे सहमत हुए और निर्देश दिया कि सरकार झंडा फहराए और यदि कोई समस्या खड़ी होती है तो सेना सुरक्षा मुहैया कराए। उन्होंने कहा कि राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने बाद में इससे सहमति जताने के साथ ही 26 जनवरी 1991 को तिरंगा झंडा फहराए जाने के दौरान शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने में सहयोग प्रदान किया।
उन्होंने कहा कि लाल चौक को कोई बाजार क्षेत्र नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक स्थान है जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री भी स्वीकार कर चुके हैं इसलिए वह मांग करते हैं कि 26 जनवरी को वहां पर तिरंगा फहराया जाए। यदि राज्य सरकार सहयोग नहीं करती है तो राज्य में केंद्र शासन घोषित करके शासन व्यवस्था सेना को सौंप दिया जाए।
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