भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि नए साल पर उनका संदेश एक तरह से स्वीकरोक्ति है कि महंगाई, आतंकवाद और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार विफल रही है. पीएम के संदेश को रस्म अदायगी बताया.
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, "अधिकतर मौकों पर प्रधानमंत्री का नए साल का संदेश सिर्फ औपचारिकता ही होता है. एक तरह से उन्होंने मान लिया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार जरूरी वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण करने में, गरीब लोगों तक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में, आतंकवाद से मुकाबले में और भ्रष्टाचार पर काबू पाने में विफल रही है."
नए साल की पूर्व संध्या पर देश के नाम अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा था कि उनकी सरकार महंगाई पर काबू पाने के अपने प्रयासों को दोगुना करेगी, सरकारी प्रक्रियाओं में फैले भ्रष्टाचार को दूर करेगी, राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत किया जाएगा. इसके अलावा आम आदमी तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने का आश्वासन भी दिया गया. लेकिन प्रकाश जावड़ेकर प्रधानमंत्री के इस भरोसे पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि पहले सरकार ने आश्वासन दिया की महंगाई पर 100 दिनों में काबू पा लिया जाएगा. इस बात को 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि सरकार ने सीएनजी गैस के दाम बढ़ा दिए. बीजेपी ने कहा है कि अगर सरकार वाकई भ्रष्टाचार से लड़ने के प्रति गंभीर है तो 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की जांच के लिए उसे संयुक्त संसदीय समिति की मांग को स्वीकार कर लेना चाहिए.
जावडेकर कहते हैं, "आतंकवाद और नक्सली समस्या पर सरकार राजनीति कर रही है और दो आवाजों में बोल रही है. दिग्विजय सिंह और उनके साथी कुछ कह रहे हैं जबकि पी चिदंबरम और उनके सहयोगी दूसरी भाषा में बात कर रहे हैं." बीजेपी ने आरोप लगाया कि सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार पर प्रधानमंत्री सिर्फ मूकदर्शक बने रहे जबकि उस पर काबू पाना उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी है.
अब तो मनमोहन सिंह को संन्यास ले लेना चाहिए। वैसे भी सरकार तो राहुल गाँधी चला रहे हैं, विफल तो गाँधी परिवार है बेचारे मनमोहन तो कठपुतली भर है। आप कहेंगे कि कैसे राहुल गाँधी सरकार चला रहे हैं। जब इन्दिरा गाँधी जैसी दुस्साहसी महिला की जगह संजय गाँधी को आपातकाल का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है तब तो आज सारी ही विपदाओं के मूल में तो राहुल ही है ना?
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