हज यात्रा के लिए दी जाने वाली सब्सिडी के खिलाफ दायर याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. पूर्व बीजेपी सांसद प्रफुल्ल गोरादिया ने कोर्ट में याचिका दायर कर यह आरोप लगाया था कि सरकार हज तीर्थ यात्रियों पर सालाना करीब 280 करोड़ रुपये खर्च करती है जो आयकर दाताओं के धन का दुरूपयोग है.
हालांकि इससे पहले अल्पसंख्यक मंत्रालय ने भी सब्सिडी दिए जाने पर अपनी असहमति व्यक्त की थी लेकिन कैबिनेट ने उसे खारिज कर दिया था. अल्पसंख्यक मंत्रालय की दलील थी कि हज के लिए किसी भी तरह की सब्सिडी शरिया के खिलाफ है.
अपील में कहा गया था कि मुस्लिमों को विशेष सब्सिडी का प्रावधान संविधान का उल्लंघन है क्योंकि राज्य धर्म, जाति एवं पंथ के आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि हिन्दुओं, ईसाइयों, बौद्धों और सिखों को इस प्रकार की कोई सहायता नहीं मिलती.
याचिका में अनुच्छेद 27 सहित संविधान के विभिन्न प्रावधानों का हवाला दिया गया है. अनुच्छेद 27 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को ऐसा कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता जिसकी राशि का इस्तेमाल किसी विशेष धर्म को बढ़ावा देने या बरकरार रखने के लिए किया जाए.
हालांकि इससे पहले अल्पसंख्यक मंत्रालय ने भी सब्सिडी दिए जाने पर अपनी असहमति व्यक्त की थी लेकिन कैबिनेट ने उसे खारिज कर दिया था. अल्पसंख्यक मंत्रालय की दलील थी कि हज के लिए किसी भी तरह की सब्सिडी शरिया के खिलाफ है.
अपील में कहा गया था कि मुस्लिमों को विशेष सब्सिडी का प्रावधान संविधान का उल्लंघन है क्योंकि राज्य धर्म, जाति एवं पंथ के आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि हिन्दुओं, ईसाइयों, बौद्धों और सिखों को इस प्रकार की कोई सहायता नहीं मिलती.
याचिका में अनुच्छेद 27 सहित संविधान के विभिन्न प्रावधानों का हवाला दिया गया है. अनुच्छेद 27 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को ऐसा कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता जिसकी राशि का इस्तेमाल किसी विशेष धर्म को बढ़ावा देने या बरकरार रखने के लिए किया जाए.
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