जम्मू-कश्मीर सरकार ने गणतंत्र दिवस पर श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा फहराने के भारतीय जनता पार्टी के कार्यक्रम को नाकाम बनाने की पूरी तैयारी कर ली है। सरकार ने पुलिस व प्रशासन को आदेश दिये हैं कि राज्य की शांति के लिए खतरा बनने वाली इस यात्रा को रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाएं।
यह फैसला गुरुवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया। सनद रहे कि इस मामले में बुधवार को ही उमर नई दिल्ली में गृह मंत्री पी चिदंबरम और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर लौटे हैं।
यह फैसला गुरुवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया। सनद रहे कि इस मामले में बुधवार को ही उमर नई दिल्ली में गृह मंत्री पी चिदंबरम और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर लौटे हैं।
वहीं लाल चौक में तिरंगा फहराने को लेकर भाजपा के तेवर भी कड़े हो गए हैं। प्रदेश अध्यक्ष शमशेर सिंह का कहना है कि तिरंगा फहराने के लिए भाजपा को सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष मुनीश शर्मा ने दावा किया कि तिरंगा यात्रा में एक लाख कार्यकर्ता व युवा जुटेंगे।
गौरतलब है कि भारतीय जनता युवा मोर्चा की राष्ट्रीय एकता यात्रा में हिस्सा लेने के लिए हजारों कार्यकर्ता 24 जनवरी को राज्य में प्रवेश करेंगे। जम्मू में 25 जनवरी को रैली करने के बाद उनकी लाल चौक में तिरंगा फहराने की योजना है।
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ReplyDeleteमाँ के अंग तिरंगा चढ़ता हम ले चले भेंट मुस्काते
घर-घर से अनुराग उमड़ता, दानव छल के जाल बिछाते
लो छब्बीस जनवरी आती!
माँ की ममता खड़ी बुलाती!!
दाती कड़ी परीक्षा लेती
तीनों ऋण से मुक्ति देती
कुंकुम-रोली का क्या करना?
खप्पर गर्म लहू से भरना!
खोपे नहीं, खोपड़े अर्पित!
चण्डी मुण्डमाल से अर्चित!!
देखें कौन तिरंगा लाते? भारत माँ के लाल कहाते!
दुनिया देखे प्रेम घुमड़ता, पहुँचो जय-जयकार लगाते!
माँ के अंग तिरंगा चढ़ता...
चल-चल ओ, कश्मीरी पण्डित!
माँ की प्रतिमा होती खण्डित!
दण्डित पड़ा टेंट में क्यूँ है?
कश्यप का वंशज तो तू है!!
तेरे गाँव लुटेरे लूटें
तुझ पर देश निकाले टूटें
उठ चल अब तू नहीं अकेला
आयी दुष्ट-दलन की वेला
चल सुन पर्णकोट की बातें, प्यारे नाडीमर्ग बुलाते
तेरा भारत मिलकर भिड़ता, जुड़ते जन्मभूमि से नाते
माँ के अंग तिरंगा चढ़ता...
प्रकटा कौल किये तैयारी!
चला डोगरा चढ़ा अटारी!
भारी गोलीबारी हारी!
युक्ति बकरवाल की सारी!!
चाहे गोले वहीं फटे हैं !
गुज्जर, लामा वहीं डटे हैं !!
घिरते "अल्ला-हू" के घेरे
हँसते भारत माँ के चेरे
प्रण को दे-दे प्राण पुगाते, देखो, कटे शीश मुस्काते!
सबके बीच तिरंगा गडता, दानव 'डल' में कूद लगाते!!
माँ के अंग तिरंगा चढ़ता...
पूरी कविता यहाँ पढ़ें-
http://mangalkavita.blogspot.com/2011/01/blog-post_19.html