बोफोर्स का भूत एक बार फिर कांग्रेस के पीछे है। इनकम टैक्स अपीलीय ट्राइब्यूनल के मुताबिक इटली के बिजनेसमैन ओत्तावियो क्वात्रोकी और विन चड्ढा को बोफोर्स के होवित्जर तोप सौदे में 41 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली थी। यह भुगतान सौदे की शर्तों में नहीं शामिल था। उन्हें इस आय पर भारत में टैक्स देना होगा।
बोफोर्स को भी सौदे की कीमत में से कमिशन की रकम घटानी चाहिए थी। ट्राइब्यूनल ने विन चड्ढा के बेटे की अपील को खारिज करते हुए यह आदेश दिया।
बोफोर्स को भी सौदे की कीमत में से कमिशन की रकम घटानी चाहिए थी। ट्राइब्यूनल ने विन चड्ढा के बेटे की अपील को खारिज करते हुए यह आदेश दिया।
इनकम टैक्स अपीलीय ट्राइब्यूनल के आदेश के मुताबिक, क्वात्रोकी के कहने पर बोफोर्स का एई सर्विसेज (यूके) से कंसल्टंसी अग्रीमेंट हुआ। 50,463,966 स्वीडिश क्रोनर की रकम ठीक उस अडवांस का 3 पर्सेंट है, जिसे भारत सरकार ने बोफोर्स को दिया था। यह एई सर्विसेज और बोफोर्स के 15 नवंबर 1985 के अग्रीमेंट के मुताबिक था।
ट्राब्यूनल ने कहा है कि बोफोर्स ने स्वेंस्का, एई सर्विसेज और क्वात्रोकी से टीडीएस जैसा टैक्स नहीं काटा। हमारे विचार के मुताबिक, ये कदम जरूरी हैं, ताकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट सभी टैक्स उल्लंघनों को अंजाम तक पहुंचा सके। इस मामले में कदम नहीं उठाया गया तो भारत की नरम राष्ट्र की छवि बनेगी, जो बेजा और नुकसानदायक होगी।
मेसर्स स्वेंस्का इनकॉरपोरेटेड, पनामा को 32.66 करोड़ रुपये दिए गए, जिसके तार चड्ढा (अब इस दुनिया में नहीं) से जुड़े हैं। भुगतान स्विस बैंक कॉरपोरेशन जिनेवा में हुआ। 8.57 करोड़ रुपये एई सविर्सेज लिमिटेड, केयर ऑफ मेयो असोसिएट्स, जिनीवा को हुआ। यह कंपनी एक पखवाड़े पहले 20 अगस्त 1986 को शुरू हुई थी।
इस मामले में क्वात्रोकी को छोड़ अन्य आरोपी सुनवाई के दौरान परलोक सिधार गए। क्वात्रोकी भारत छोड़ चुका है। सीबीआई ने अदालत में उसके खिलाफ मुकदमा वापस लेने की अर्जी दाखिल की थी। सीबीआई की अजीर् पर मंगलवार को अदालत का फैसला आ सकता है। क्वात्रोकी को सोनिया गांधी के परिवार का करीबी माना जाता है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बोफोर्स केस के आरोपी विन चड्ढा पर 1987-88 और 1988-89 के लिए 52 करोड़ और 85 लाख रुपये का क्लेम किया था। चड्ढा के बेटे ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के दावे के खिलाफ अपील दाखिल की थी। इनकम टैक्स अपीलीय ट्राइब्यूनल ने इस अपील को खारिज करते हुए कहा कि विन चड्ढा और जिन भी संस्थाओं के जरिये क्वात्रोकी को कमिशन के तौर पर रकम का ट्रांसफर किया था, उन्हें भारत में टैक्स देना होगा। इसी आदेश के दौरान ट्राइब्यूनल ने कहा कि होवित्जर गन सौदे में सरकार को 41 करोड़ रुपये ज्यादा देने पड़े, जो क्वात्रोकी और विन चड्ढा को मिले।
बोफोर्स सौदा 1986 में हुआ था और यह 1437 करोड़ रुपये का आंका गया था। सौदे में दलाली के आरोपों पर सीबीआई ने 1990 में केस दर्ज किया था। लंबी छानबीन के बाद इस मामले में एस.के. भटनागर, विन चड्ढा, क्वात्रोकी, मार्टिन आरड्बो, एबी बोफोर्स और हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। हिंदुजा बंधुओं को अदालत ने आरोप मुक्त कर दिया, जबकि क्वात्रोकी को छोड़ अन्य आरोपी सुनवाई के दौरान परलोक सिधार गए। लेकिन सुनवाई के दौरान क्वात्रोकी कभी अदालत के सामने पेश नहीं हुआ। वह 1993 में भारत छोड़ गया। उसके नाम अदालत ने गैर-जमानती वॉरंट जारी किया, जिसके बाद सीबीआई ने इंटरपोल की मदद से उसके नाम रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाया। क्वात्रोकी की विदेश में दो बार गिरफ्तारी भी हुई लेकिन सीबीआई उसका प्रत्यर्पण नहीं करवा पाई।
कांग्रेस ने बोफोर्स सौदे में दलाली को लेकर इनकम टैक्स अपीलीय ट्राइब्यूनल की टिप्पणी पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया है। ट्राइब्यूनल ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि बोफोर्स तोप सौदे में दिवंगत विन चड्ढा और ओत्तावियो क्वात्रोकी को 41 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी।
पार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ' हमने सिर्फ एक घंटा पहले ही इस बारे में सुना है। हम सिर्फ इस आधार पर जल्दबाजी में प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त कर सकते कि यह खबर मीडिया में आ चुकी है या विपक्ष ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। हम पहले आदेश को देखेंगे और तब हम प्रतिक्रिया देंगे। कांग्रेस जल्दबाजी में प्रतिक्रिया देने के लिए नहीं जानी जाती। '
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