दारुल-उलूम के नए वाइस चांसलर मौलाना गुलाम मोहम्मद वस्तनवी ने नरेंद्र मोदी सरकार की तारीफ में कसीदे गढ़े हैं। उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार में राज्य के सभी समुदायों का विकास हो रहा है इस मामले में अल्पसंख्यकों के साथ कोई भेदभाव नहीं बरता जा रहा है। वस्तनवी का यह बयान मोदी सरकार के लिए काफी राहत पहुंचानेवाला है और शायद यह पहला मौका है जब किसी देवबंद चीफ ने मोदी की तारीफ की है।
देवबंद चीफ गुजरात के आर्थिक विकास से काफी इंप्रेस हैं। इस मामले में उनका कहना है, 'निसंदेह गुजरात में काफी विकास काम हुए हैं और मुझे उम्मीद है कि यह जारी रहेगा। मैंने मुसलमानों से पढ़ाई पर जोर देने के लिए कहा है। सरकार उनको नौकरी देने के लिए तैयार है, लेकिन उसके लिए अच्छी एजुकेशन की जरूरत है।'
सूरत के रहनेवाले वस्तनवी एमबीए ग्रैजुएट हैं और वह गुजरात और महाराष्ट्र में दारुल उलूम द्वारा चलाए जा रहे संस्थानों में मॉर्डन सबजेक्ट्स को शामिल करने के हिमायती हैं।
उत्तर प्रदेश के देवबंद में स्थित दारुल उलूम देश के अग्रणी इस्लामिक वैचारिक संस्थानों में से एक माना जाता है और यह देवबंदी विचारों का सबसे बड़ा सोर्स है। इस मान्यता को माननेवाले देश की सीमाओं से बाहर खासतौर पर अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भी बड़ी संख्या में हैं।
वस्तनवी ने कहा, 'गुजरात दंगा का मुद्दा 8 साल पुराना है और अब हमें आगे की तरफ देखना चाहिए।'
उन्होंने कहा, 'गुजरात या विश्व के किसी भी हिस्से में अगर दंगा होता है, तो वह मानवता के नाम पर काला धब्बा है और ऐसी घटनाओं पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए। गुजरात दंगे से भारत की छवि खराब हुई है और इसके लिए जो लोग दोषी हैं, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।'
वस्तनवी कहते हैं, 'गुजरात में उतनी समस्याएं नहीं है, जितना कि कहा जा रहा है।' दंगा पीड़ितों को न्याय के बारे में पूछने पर वह बोले, 'दंगा इसलिए ज्यादा भयावह हो गया क्योंकि राजनीतिक दबाव में पुलिस ने इसे रोकने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए।' उन्होंने दंगा पीड़ितों के लिए चलाए जा रहे राहत कार्यों पर संतोष जताया और कहा कि सरकार व गुजरात के लोग इस मामले में काफी बेहतर कार्य कर रहे हैं।
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