श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने और 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर जेपीसी मांग को लेकर अड़ी भाजपा ने केंद्र की संप्रग सरकार को आड़े हाथों लिया है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने तिरंगा फहराने के भारतीय जनता युवा मोर्चा [भाजयुमो] के कार्यक्रम के बारे में प्रधानमंत्री की अपील को खारिज करते हुए सरकार पर अलगाववादियों के आगे समर्पण का आरोप लगाया है।
तिरंगा फहराने को राजनीतिक लाभ की राजनीति करार देने के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आडवाणी ने अपने ब्लॉग में इसे अलगाववादियों के खिलाफ चुनौती बताया है। भाजयुमो नेताओं को रोकने के लिए जम्मू-कश्मीर की सीमाएं सील किए जाने का विरोध करते हुए आडवाणी ने राज्य सरकार पर अलगाववादियों के आगे घुटने टेकने का आरोप लगाया।
अरुण जेटली ने भी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि तिरंगा यात्रा को रोकने के लिए राज्य की सीमाओं को सील करना अलोकतांत्रिक है और इसे कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा।इसके साथ ही विपक्ष को माओवादियों से हाथ मिलाने की सलाह देने वाले प्रणब मुखर्जी के बयान को लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने स्तब्धकारी करार दिया है।
उनके अनुसार, यह बयान बताता है कि सरकार का संसदीय संस्थाओं पर विश्वास नहीं है। बयान पर हैरानी जताते हुए उन्होंने सवाल किया कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जेपीसी से जांच की मांग करना संसदीय लोकतंत्र या संविधान में आस्था नहीं होने का द्योतक कैसे हो सकता है।
गौरतलब है कि वित्त मंत्री मुखर्जी ने शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष के संसद के बहिष्कार पर टिप्पणी करते हुए पिछले शनिवार को कहा था कि विपक्ष की संसदीय लोकतंत्र में कोई आस्था नहीं है और उन्हें माओवादियों के साथ हाथ मिला लेना चाहिए।
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