अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंकने वाले और हिन्दुत्व शब्द के प्रतिपादक स्वातंóय वीर सावरकर ने अपने क्रांतिकारी कदमों से युवाओं में आजादी का जज्बा भरने के साथ ही ब्रितानिया हुकूमत की नाक में दम कर दिया था।
नासिक के नजदीक भागपुर गांव में 28 मई 1883 को जन्मे सावरकर के व्यक्तित्व के साथ कई विवाद भी जुड़े हैं ।
एक ओर वह जहां सेल्युलर जेल की दीवारों को देशभक्ति की कविताओं से पाट देने वाले और 1857 की पहली जंग ए आजादी पर मशहूर किताब लिखने वाले महान शख्स के रूप में नजर आते हैं वहीं महात्मा गांधी की हत्या में उन पर लगे आरोप और रिहाई के लिए ब्रिटिश सरकार के साथ कथित समझौते को लेकर विवादित भी हो जाते हैं ।
महात्मा गांधी की हत्या में उन पर लगा आरोप हालांकि साबित नहीं हो पाया लेकिन यह आज भी उनके व्यक्तित्व का पीछा छोड़ता नजर नहीं आता ।
सावरकर को लेकर आज जहां राजनीतिक दल आपस में बंटे हैं वहीं इतिहासकार भी उनकी शख्सियत को अपने..अपने ढंग से पेश करते नजर आते हैं ।
डॉ. ज्योत्सना कामत के अनुसार सावरकर एक महान क्रांतिकारी थे जिन्होंने हमेशा देश की आजादी और देश के भले के लिए काम किया ।
कामत ने लिखा है कि सावरकर एक जन्मजात क्रांतिकारी थे । उन्होंने जहां लंदन में भारत की आजादी का बिगुल फूंका वहीं भारत में रहकर भी उन्होंने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया । स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में उनका अद्वितीय स्थान है ।
Very true, he was a man of courage and dedication...............
ReplyDeleteवीर सावरकर एक जन्मजात क्रांतिकारी थे
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