कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के लिए काफी दिनों बाद अच्छी खबर आई है। भ्रष्टाचार, भूमि घोटाले सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर जूझ रहे येदियुरप्पा को यह राहत कर्नाटक हाईकोर्ट ने दी है। कोर्ट ने सोमवार को उन पांच बागी निर्दलीय विधायकों को अयोग्य करार दिया, जिन्होंने पिछले साल अक्तूबर में येदियुरप्पा सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। जिसके बाद असेंबली स्पीकर के. जी. बोपैया ने भाजपा के 11 विधायकों सहित उक्त पांचों को दलबदल कानून के तहत अयोग्य करार दिया था। बोपैया ने निर्दलीय विधायक पी. एम. नरेंद्र स्वामी, शिवराज एम. थंगाडागी, वेंकटरमनप्पा, डी. सुधाकर और गुलीहट्टा डी. शेखर को दलबदल कानून के तहत निलंबित किया था।
बरकरार रखा विधायकों को अयोग्य ठहराने का फैसला:
अध्यक्ष ने यह निर्णय सदन में भाजपा के विश्वास मत हासिल करने से एक दिन पूर्व लिया था। आदेश को चुनौती देते हुए पांचों विधायकों ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना, न्यायमूर्ति शांतानागुदार और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर की तीन सदस्यीय पूर्ण पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 11 भाजपा विधायकों के निलंबन को कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा सही ठहराए जाने के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। न्यायमूर्ति शंतानागुदार ने कहा कि उनकी पीठ ने तीन मुद्दों पर विचार किया।
इनमे संबंधित निर्दलीय विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं द्वारा दाखिल याचिका के साथ विधायकों को निलंबित किए जाने का फैसला तथा इसके पीछे का मकसद भी शामिल है। पीठ की नजर में मतदाताओं द्वारा दायर की गई याचिका स्वीकार करने लायक थी तथा अध्यक्ष द्वारा निर्दलीय विधायकों को निलंबित करने का फैसला वैध था। सुनवाई के दौरान विधायकों की ओर से पेश वकील ने कहा कि ये विधायक कभी भी भाजपा में शामिल नहीं हुए थे। कोर्ट ने इस दलील के खिलाफ पर्याप्त सुबूत होने की बात कहते हुए इसे खारिज कर दिया।
क्या था मामला :
पांच निर्दलीय विधायकों को भाजपा के 11 विधायकों सहित सदन से निलंबित किया गया था। इन विधायकों ने राज्यपाल हंसराज भारद्वाज को गत पांच अक्तूबर को पत्र लिखकर येदियुरप्पा से अपना समर्थन वापस ले लिया था। हालांकि भाजपा सरकार 106 मतों के साथ सदन में विश्वास मत जीत गई थी।
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