सरकार ने मौलाना उमरजी को साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने का मुख्य साजिशकर्ता बताया था, लेकिन अदालत ने उन्हें बरी कर दिया है। इस मामले में मंगलवार को 9 साल में पहली बार फैसला आया। फैसले के मद्देनजर गोधरा, अहमदाबाद और बडोदरा में पुलिस को सतर्क कर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं।
हाल के वर्षो में देश के इतिहास में हुए इस सबसे बड़े अपराध के मामले में विशेष अदालत ने मंगलवार को साबरमती केंद्रीय जेल परिसर में अपना फैसला सुनाया। गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस6 कोच में आग लगा दी गई थी जिसमें 58 लोगों की मौत हो गयी थी। इस घटना के बाद भड़के दंगों में करीब 1100 लोगों की मृत्यु हो गई और संपत्ति को भारी नुकसान पंहुचा था।
पुलिस उपायुक्त सतीश शर्मा के अनुसार इस फैसले के मद्देनजर जेल परिसर के साथ ही सभी संवेदनशील स्थानों पर कड़ी चौकसी बरती जा रही है और किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पुलिस के 8000 जवानों के साथ ही, राज्य रिजर्व पुलिस बल की 25 कंपनियां, त्वरित कार्रवाई बल की तीन टुकड़ियां और होमगार्ड के जवानों की तैनाती की गई है।
प्रशासन ने अहमदाबाद और गोधरा में सार्वजनिक प्रदर्शनों को प्रतिबंधित कर धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है। इसके अलावा मीडिया द्वारा इस घटना से जुड़ी तस्वीरों के प्रकाशन एवं प्रसारण पर रोक है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक यहां स्थित साबरमती सेंट्रल जेल कांप्लेक्स सहित सभी संवेदनशील इलाकों में पुलिस बल तैनात किया गया है। इसके अलावा एसआरपी और आरपीएफ की टीम गश्त करेगी। मध्य गुजरात के वडोदरा, पंचमहाल, दाहोद, नर्मदा और भरूच में भी विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
इस केस में कुल 97 आरोपी लंबे समय से जेल में हैं। गोधराकांड की जांच भी विशेष जांच टीम ने की थी।
प्रमुख साजिशकर्ता : मौलवी हुसैन हाजी इब्राहिम उमरजी
प्रमुख कोर टीम : हाजी बिलाल, सलीम जर्दा, शौकत अहेमद चरखा उर्फ लालु(फरार), सलीम पानवाला (फरार), जबीर बिनयामीन बहेरा, अब्दुलरजाक कुरकुरे, अब्दुलरहेमान मेंदा उर्फ बाला, हसन अहेमद चरखा उर्फ लालु, महेमुद खालिद चांद
प्रमुख कोर टीम के सहायक : फारुक अहेमद भाण(फरार), महंमद अहेमद हुसेन उर्फ लतिको, इब्राहिम अहेमद भटकु उर्फ फेटु (फरार)
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