मध्य प्रदेश के मंडला जिले में नर्मदा नदी के तट पर गुरुवार से शुरू हुए तीन दिवसीय नर्मदा सामाजिक कुंभ पर कांग्रेस और ईसाई समुदाय को आपत्ति हो गई है । आयोजक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तक इसे सामाजिक समरसता का प्रतीक करार दिया है, वहीं कांग्रेस व ईसाई संगठन ने इस आयोजन के जरिए धर्मातरण की आशंका जताई है।
नर्मदा जयंती पर शुरू हुए इस सामाजिक कुंभ के मंच पर संघ के पदाधिकारियों से लेकर भाजपा के नेताओं और साधु-संत का जमावड़ा था। धार्मिक उपदेश के बीच तमाम वक्ताओं ने देशभक्ति की परिभाषा बताई और धर्म का पाठ पढ़ाया।
इस मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस कुंभ से जो अमृत निकलेगा, वह सामाजिक समरसता को और प्रगाढ़ करेगा। नर्मदा नदी दुनिया की एक मात्र ऐसी नदी है जिसकी लोग परिक्रमा करते हैं, क्योंकि यह लोगों की आस्था का केंद्र है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी ने मंडला के सामाजिक कुंभ को धर्म स्वतंत्रता कानून के खिलाफ बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम और राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर को पत्र भी लिखा है। उन्होंने कहा कि इस कुंभ के जरिए अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणा फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।
ईसाई समाज के प्रवक्ता आनंद मुटुंग ने इस आयोजन के जरिए धर्मातरण की आशंका जताई है। उनका कहना है कि इसके लिए कुछ लोगों पर दबाव भी डाला जा रहा है।
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