
बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को 17 जून, 2010 को लिखे पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं किए जाने के बाद यासमीन ने इस हफ्ते के शुरू में याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया है कि यास्मीन ने आरोपियों के खिलाफ गवाही दी और तीस्ता सीतलवाड़ की ओर से और उसकी सलाह पर आरोपियों की केवल इस उम्मीद में शिनाख्त की कि तीस्ता उसकी आर्थिक मदद करेगी। यासमीन ने अपील की है कि निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए नौ दोषियों द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई के साथ ही हाई कोर्ट द्वारा उसकी गवाही नए सिरे से रिकॉर्ड की जाए।
सेकुलरिस्ट ,मानवाधिकार बड़ी ते ताकते देश बिरोधी है इनका यही काम है भारत का विरोध, इनसे देश को सावधान रहना होगा.
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