भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए बनी संयुक्त ड्राफ्ट समिति की पहली बैठक में ही सरकार ने अन्ना हजारे की मांग को अनसुना कर दिया। सरकार ने तय किया है कि समिति की बैठक की वीडियोग्राफी नहीं होगी। इसका ऑडियो रिकार्ड होगा और ब्यौरा समय समय पर देश के लोगों को बताया जाएगा। अन्ना ने अनशन तोड़ने के बाद कहा था कि बैठक की वीडियोग्राफी हो और पूरे देश की जनता को दिखाया जाए।
समिति की पहली बैठक में सिविल सोसायटी के कुछ प्रस्ताव हटा दिए गए हैं। इसके अलावा सरकार ने सिविल सोसायटी की ओर से तैयार जन लोकपाल बिल के प्रारूप को भी मसौदे का आधार मानने से इनकार कर दिया। जन लोकपाल बिल में जज और मंत्री को निलंबित करने का प्रस्ताव था, लेकिन सरकारी सूत्रों के मुताबिक इन दोनों प्रस्तावों को संयुक्त मसौदे से हटा दिया गया है।
सिविल सोसायटी के सदस्य प्रशांत भूषण ने कहा, ' फिलहाल वीडियो रिकॉर्डिंग पर सहमति नहीं बन सकी है। लेकिन बैठक में सभी ने यह माना कि ठोस, कारगर और स्वतंत्र लोकपाल बिल आज के समय की जरूरत है।' उन्होंने कहा, '2 मई को होने वाली बैठक में जन लोकपाल बिल के मूलभूत सिद्धांतों पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा हर हफ्ते कम से कम एक बैठक जरूरी होगी।'
ऍसा लग रहा है कि बिल पर पहली बैठक के बाद ही सिविल सोसायटी के सदस्य बैकफुट पर आ गए हैं।
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