सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित विशेष जांच दल [एसआइटी] ने राज्य पुलिस के चार आला अधिकारियों को गुजरात दंगा मामले में क्लीन चिट दे दी है। विशेष अदालत ने इस मामले में अपना फैसला 31 मई तक सुरक्षित रखा है। अदालत के इस रुख से मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को राहत पहुंची है।
अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में 28 फरवरी 2002 को दंगों के दौरान कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी समेत 69 लोगों की हत्या कर दी गई थी। विशेष अदालत के न्यायाधीश बी जे. ढांडा के समक्ष जांच रिपोर्ट पेश कर एसआइटी ने राज्य के तत्कालीन पुलिस आयुक्त पीसी पांडे, संयुक्त पुलिस आयुक्त एमके टंडन, पुलिस उपायुक्त पीबी गोंदिया और अहमदाबाद सिटी अपराध शाखा के सहायक पुलिस आयुक्तएसएस चूड़ास्मा को क्लीन चिट दे दी है।
जांच दल का कहना है कि चारों पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दंगों में लिप्त होने का कोई सुबूत नहीं मिला है। दंगे में मारे गए सांसद की पत्नी जकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर गुलबर्ग सोसाइटी मामले की सीबीआइ जांच कराने की मांग की थी। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर एसआइटी का गठन किया गया था। साथ ही दंगा मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालत भी बनी थी।
बचाव पक्ष के वकील एस. एम. वोरा ने पुलिस अधिकारियों का पक्ष रखते हुए कहा था कि भारतीय साक्ष्य कानून की धारा-6 के तहत उक्त अधिकारी सीधे तौर पर दंगा मामले में शामिल नहीं हैं। इसके अलावा उनके खिलाफ लापरवाही बरतने का भी कोई मामला नहीं बनता है।
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